स्वर्गीय सांसद दिलीप सिंह भूरिया को पद्म विभूषण  सम्मानित करने की उठी मांग | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

स्वर्गीय सांसद दिलीप सिंह भूरिया को पद्म विभूषण  सम्मानित करने की उठी मांग | New India Times

आदिवासियों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए बनाया गया पेसा एक्ट कानून, नौवीं पुण्यतिथि पर स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया के प्रतिमा स्थल पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे उनके अनुयायीयों ने नौवीं पुण्यतिथि पर आदिवासी अंचल से उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने की मांग की जा रही है।

स्वर्गीय भूरिया ने आदिवासी हित और अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया जिस तरह संविधान देश के हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है उसी तरह से उन्होंने आदिवासियों को अधिकार प्रदान करने और ग्राम सभा को सशक्त बनाने के उद्देश्य से वे पेसा कानून लेकर आए।

ऐसे में अंचल का हर व्यक्ति चाहता है की स्वर्गीय भूरिया के योगदान को देखते हुए उन्हें पद्म विभूषण जैसे राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाए। सोमवार को भुरिया की नौवीं पुण्यतिथि थी, ऐसे में मेघनगर नाका स्थित उनकी प्रतिमा स्थल पर उनके अनुयायियों का मेला लगा।

सभी ने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए उनके द्वारा दिए गए योगदान को शिद्दत से याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की। प्रातः से ही झाबुआ प्रतिमा स्थल पर अन्युयायियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था जो शाम तक अनवरत जारी रहा।

स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया के प्रति उनके अनुयायियों की आस्था इतनी गहरी है की झाबुआ जिले के साथ ही सीमावर्ती रतलाम जिले से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने सैकड़ों लोग पहुंचे। स्वर्गीय दिलीपसिंह भूरिया दलगत राजनीति से परे आदिवासी समुदाय के बीच एक सर्वमान्य नेता थे।

उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उनकी पुत्री बेटी कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया, भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया, पूर्व सांसद गुमान सिंह डामोर, अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कलसिंह भाबर, पूर्व जिलाध्यक्ष शैलेष दुबे, विजय नायर, पूर्व नपाध्यक्ष पर्वत मकवाना, विश्वास सोनी, अक्षय कटारिया सहित जिलेभर के सैकड़ो भाजपा नेता पहुंचे।

भुरिया की प्रतिमा पर 30 मीटर का साफा बांधा-
स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया की पुण्यतिथि पर उनके भतीजे बालू भूरिया, बेटी  निर्मला भूरिया और भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया ने आदिवासी संस्कृति के अनुरूप पूजन कर प्रतिमा पर 30 मीटर का साफा बांधा। इस दौरान जब तक सूरज चांद रहेगा, भूरिया का नाम रहेगा, जैसे नारे भी गूंज रहे थे।

आंखों में आंसू भर कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा मेरे पिता एक सच्चे आदिवासी जन नेता थे-
वो मेरे नायक हैं। उन्होंने हर वर्ग और तबके के उद्धार के लिए काम किया। वे आखिरी सांस तक देशभर के आदिवासियों के अधिकार के लिए संघर्ष करते रहे। पेटलावद क्षेत्र में आज जो हरित क्रांति दिखाई दे रही है, यह उनकी बदौलत है। भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया ने कहा दिलीप सिंह भूरिया आदिवासी समाज ही नही पूरे झाबुआ जिले के गौरव थे। वे ऐसे नेता थे जो आजीवन आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे। उनके योगदान को जनजाति समाज और झाबुआ जिला कभी भूल नहीं सकता।

पूर्व सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा-स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया ने आदिवासियों के लिए पेसा कानून लागू किया। में पूरे अंचल की ओर से केंद्र सरकार से ये मांग करता हूं कि वे स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया को पद्म विभूषण से सम्मानित करें।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading