गुलशन परूथी, ब्यूरो चीफ, दतिया (मप्र), NIT:
मेडिकल कॉलेज दतिया सम्बद्ध अस्पताल में समस्त डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर्स और बाकी स्टाफ को निदेशालय भोपाल के निर्देशानुसार एवं डीन डा दिनेश उदैनिया के आदेश पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ कृष्ण कुलदीप गुप्ता के द्वारा फाइलेरिया से बचाव के लिए कैंपेन का आरंभ किया गया तथा अस्पताल में कार्यरत समस्त स्टाफ को फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का वितरण कर एवं दवा खिलाकर बीमारी के प्रति जागरूक किया गया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ कृष्ण कुलदीप गुप्ता ने इस अवसर पर चिकित्सालय के कर्मचारियों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में बताया कि, फाइलेरिया एक संक्रामक रोग है जो कि निमेटोड परजीवियों (Wuchereria bancrofti) की वजह से होता है, इससे शरीर में सूजन और बुखार हो सकता है।
चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ कृष्ण कुलदीप गुप्ता ने बताया कि इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नज़र नहीं आते। फाइलेरिया बीमारी से बचाव ही इसका सर्वोत्तम इलाज है और इसके लिए शासन के आदेश पर समय समय पर अभियान चलाया जाता है जिससे इस बीमारी को रोका जा सके।
सह चिकित्सा अधीक्षक डॉ हेमंत जैन ने बताया की विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 65 करोड़ भारतीयों पर फाइलेरिया रोग का खतरा मंडरा रहा है। 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 256 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं। मेडिकल के जन सम्पर्क अधिकारी डा मुकेश शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बना रही है। आज के कार्यक्रम के अंर्तगत अस्पताल में कार्यरत करीब दो सौ कर्मचारियों को फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए दवा का सेवन कराया गया है। इस अवसर पर चिकित्सालय अधीक्षक डॉ कृष्ण कुलदीप गुप्ता के साथ डॉ हेमंत जैन, डॉ सचिन यादव, एवं नर्सिंग अधीक्षक वीजी अवस्थी उपस्थित रहे।
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