नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
अगर विदर्भ की स्वतंत्र राज्य बनाने की बरसो पुरानी मांग भविष्य में मान ली गई तो उप राजधानी का सम्मान अमरावती को मिलेगा। इसी अमरावती की हालत आज बदतर हो चुकी है, हम पहले बडनेरा रेलवे जंक्शन की बात करते हैं। मध्य रेल के भुसावल मंडल के अधीन बडनेरा रेलवे स्टेशन स्मार्ट स्टेशन बनते बनते चूक गया है। शायद सरकार को विकास के नाम पर स्टेशन को पोर्ट बनाने वाला कोई खरीदार यानी विकासक नहीं मिला होगा। चार प्लेटफॉर्म में चौथा उपयोग में नहीं है, उपलब्धि के नाम पर ऑटोमैटिक सीढ़िया हैं। टिकट बुकिंग खिड़की की ईमारत बाबा आज़म के जमाने से वही है बस छापे की जगह कंप्यूटर ने ली है। निर्माण के नाम पर रेलवे का सारा का सारा कैंपस उजाड़ दिया है। महंगे पेट्रोल डीजल LPG से ऑटो रिक्शा वाले ठीक से रोजी रोटी कमा नहीं पा रहे हैं। रात को कोई यात्री यहां पड़ाव करने की जुर्रत नहीं कर सकता यहां ना सराय हैं और ना हि सुरक्षा के इंतजामात। बडनेरा से नरखेड़ और बडनेरा से भुसावल तक चलाई जाने वाली सवारी पैसेंजर ट्रेन को मेमू के नाम पर एक्सप्रेस के किराए चलाया जा रहा है। अंधभक्त इसे वंदे भारत में यात्रा करने के अनुभव से संतुलित कर रहा है।
बडनेरा से अमरावती आठ किमी दूर है, बीस साल पहले सिटी में बनाए गए संकरे हवाई ब्रिज अतिरिक्त ट्रैफिक का बोझ ढोते ढोते जर्जर हो गए है। राजकमल चौक जहां तीनों हवाई ब्रिज एक साथ मिलते है उसके नीचे बने अटल बिहारी वाजपेई सुरंगी सेतु को काफी लाड प्यार से सजाया गया है। बताया जाता है की क्षेत्र की सांसद नवनीत राणा की भाजपा में तूती बोलती है बावजूद इसके विकास के बारे मे उनका संसदीय शहर अमरावती काफ़ी पिछड़ गया है। महंगाई , बेरोजगारी , MIDC का पतन , विकास के बुनियादी ढांचे की टूटी हुई कमर इन समस्याओं से अमरावती का आम नागरिक त्रस्त है। हमने अपनी पहली रिपोर्ट में गाड़गे बाबा समाधी स्थल को लेकर सरकार की अनदेखी पर ध्यान केंद्रित किया था। लोकसभा चुनाव किसी भी समय घोषित होने है अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अमरावती सीट के नतीजे में परिवर्तन होता नज़र आ रहा है। दूसरी ओर महाराष्ट्र की सभी 48 सीटों पर जितने का दंभ भरने वाले भाजपा के बडबोले नेता अपनी खुद की संसदीय सीट पर लोकसभा का चुनाव लड़ने से दूर भाग रहे हैं।
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