झारखंड के गोड्डा जिले में कोयला खदान धंसने से 35 डंपर, 4 लोडर के साथ लगभग 50 मजदूर दबे; मरने वालों और घायलों को मुआवजा देने का एलान  | New India Times

अतिश दीपंकर, पटना, NIT; ​झारखंड के गोड्डा जिले में कोयला खदान धंसने से 35 डंपर, 4 लोडर के साथ लगभग 50 मजदूर दबे; मरने वालों और घायलों को मुआवजा देने का एलान  | New India Timesझारखंड के गोड्डा जिले में कोयला खदान धंसने से 35 डंपर, 4 लोडर के साथ लगभग 50 मजदूर भी दब गए हैं जिनमें से 10 लोगों के शवों को निकाला जा चुका है बाकी फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिशें जारी है। बचाव कार्य में मदद के लिए पटना से एनडीआरएफ की चार टीमों के साथ रांची से भी एक टीम घटना स्थल पर पहुंच रही है।​
झारखंड के गोड्डा जिले में कोयला खदान धंसने से 35 डंपर, 4 लोडर के साथ लगभग 50 मजदूर दबे; मरने वालों और घायलों को मुआवजा देने का एलान  | New India Timesसीआईएसएफ ने मीडिया को बताया कि बचाव कार्यों में मदद के लिए शीतलपुर स्थित ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) मुख्यालय से अतिरिक्त पुलिसकर्मी घटना स्थल पर पहुंच चुके हैं और बचाव कार्य जारी है। राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास हालात पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और अधिकारियों से राहत कार्य में तेजी लाने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने हादसे में मरने वालों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों को 25-25 हज़ार रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है। वहीं ईसीएल कंपनी ने भी मृतक के आश्रितों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देना का ऐलान किया है, जो कि मजदूर मुआवजा एक्ट के तहत मिलने वाले लाभ से अलग होगा। उधर ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि उन्होंने हालात का जायजा लेने के साथ ही हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं।

जानकारी के अनुसार ईसीएल की राजमहल परियोजना में महालक्ष्मी आउटसोर्सिंग कंपनी के कर्मी रात में माइनिंग का काम कर रहे थे। खदान में 200 फीट तक गहराई में माइनिंग चल रही थी, तभी पूरा मलबा ढह गया। इस वजह से खदान के अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया और लगभग 50 मजदूर अंदर ही फंस गए।​झारखंड के गोड्डा जिले में कोयला खदान धंसने से 35 डंपर, 4 लोडर के साथ लगभग 50 मजदूर दबे; मरने वालों और घायलों को मुआवजा देने का एलान  | New India Timesघटनास्थल पर मौजूद लोगों के मुताबिक, घटना के समय खदान ऊपरी सदह पर ही काम हो रहा था, तभी अचानक हाई वॉल धस गया।  खदान में दबे ज्यादातर लोग ठेका मजदूर हैं। चश्मदीदों ने बताया कि ओपनकास्ट की इस परियोजना में मिट्टी धंसने से 35 से ज्यादा डंपर और 4 पे-लोडर दब गए।

सूत्रों के अनुसार पहाड़िया टोला साइट पर छह महीने पहले ही मिट्‌टी में दरार आ गई थी,  इसके बाद मजदूरों ने वहां काम करने से इंकार कर दिया था, लेकिन महालक्ष्मी कंपनी ने 27 दिसंबर को फिर से उस साइट पर काम शुरू करा दिय। स्थानीय लोगों में अपनी सुरक्षा को लेकर पहले से ही आशंका थी, जो कि इस हादसे के बाद गुस्से में तब्दील हो गई और उन्होंने कंपनी दफ्तर पर पत्थराव भी किया।

 


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