'सोचने विचारने के बियाबान में एक दिया जला', संवैधानिक राष्ट्र भारत पर आसन्न संकट और चुनौतियों' पर दिल्ली के समाजवादी समागम द्वारा प्रोग्राम का हुआ आयोजन | New India Times

अंकित तिवारी, नई दिल्ली, NIT:

New India Times

कल दिल्ली में, संसद सदस्यों के लिए बनाए गए कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हाल में ‘संवैधानिक राष्ट्र भारत पर आसन्न संकट और चुनौतियों’ पर दिल्ली के समाजवादी समागम द्वारा प्रोग्राम आयोजित हुआ।
कहना ना होगा की दिल्ली की धूल धक्कड़, धुएं, कारों की कान फाडू तीखी आवाज़, फैशन, फिल्मी दुनिया और उसके गानों पर जन्म दिवस, शादी की सालगिरह वगैहरा के मौके पर बड़े-बड़े स्पीकरों के जारिए शोरगुल करते बेतहाशा तमाशों, आयोजनों का इजाफा होता जा रहा है। वही दिल्ली की सड़कों पर पहले की तुलना में अब कामगार, मजदूरो, सामाजिक राजनीतिक सवालों, सांप्रदायिकता, महंगाई, जोर-जूल्म, नागरिक आजादी के हक में जलूसों के जो जत्थे निकलते थे, अब उससे कहीं ज्यादा एक तरह की पोशाक खास तौर से माथे पर बांधे गए पट्टे, ट्रकों, लारी, कारो स्कूटर हाथों से धकेलने वाले ठेलों पर हाथ में डंडे तीन-चार बड़े स्पीकर जिनकी आवाज को सहन करना कोई मामूली बात नहीं उसके बढ़ते हुए कारवां मे इजाफा देखने को मिल रहा है। परंतु जम्हूरियत और संविधान जिसके कायदे कानूनों की मुताबिक मुल्क चलना चाहिए उस पर सोचने विचारने की रफ्तार लगातार गिरावट मूल्क की राजधानी में देखने को मिल रही है।

'सोचने विचारने के बियाबान में एक दिया जला', संवैधानिक राष्ट्र भारत पर आसन्न संकट और चुनौतियों' पर दिल्ली के समाजवादी समागम द्वारा प्रोग्राम का हुआ आयोजन | New India Times

ऐसे में मुद्दत के बाद सोचने विचारने के वास्ते कल दिल्ली में एक व्याख्यान माला का आयोजन हुआ। दिल्ली का बासींदा तथा तजुर्बे की बिना पर कह सकता हूं कि कल उसमें अपने-अपने फन, इल्म के, माहिर, मशहूर मारूफ पहली कतार के नायक शिरकत कर रहे थे। अशोक बाजपेई( रिटायर्ड आईएएस सचिव पद पर रहने के बावजूद) कला साहित्य संस्कृति के मर्मज्ञ होने के साथ इन सवालों पर जूझने, वैचारिक मुठभेड़ करने, सड़क पर हाथ में तख्ती लेकर चलने तथा आज के डर के माहौल में खुल्लम-खुल्ला सत्ताधीसों को ललकारने वाले वाजपेई जी का कल जो संबोधन हुआ, उसको चंद लाइनों में लिखकर समेटा नहीं जा सकता।( शायद रिकॉर्ड हुआ है बाद में पूरा वक्तव्य छपेगा) आज के ईडी,सीबीआई एनफोर्समेंट डिपार्मेंट के खौफजदा माहौल में जब सूचना की दुनिया में एक तरफा माहौल बनाया जा रहा हो, सरकारी टेलीविजन से लेकर मालदार घरानों की मिल्कियत में चलने वाले चैनलो के एंकर एंकर्निया मालिक की चाकरी और अपनी वफादारी दिखाने के लिए आंख मटका कर, नथुने फुलाकर, हाथों को फटकारते हुए सरकारी तरफदारी के लिए मुखालिफ विचारों वालों पर झपटने की इस दौड़ में अव्वल आने के लिए चीख रहे होते हैं।

तो उसी शोर गुल में तथ्यों, तर्कों, सर्वे, राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय रपटों, बुलेटिनो मुख्तलिफ राज्यों की आम जनता से बातचीत का सहारा लेने वाले हिंदुस्तान के हर तपके की परेशानियों को परत दर परत, उलटते पलटते हकीकत से रूबरू कराते, शांत, मगर फौलादी यकीन से भरी आवाज वाले रवीश कुमार ने कल के सेमिनार में प्रचार तंत्र के अंदरूनी और बाहरी पेचीदगीयो, षड्यंत्र, साजिशों, एक तरफा सरकारी भोंपू प्रचार और उसके विरोधियों को मूल्क का गद्दार सिद्ध करने का जो प्रयास हो रहा है। पर रोशनी डाली। सुनने वाले भौचक, आवाक, कभी गुस्से और कभी ठहाको से सरोबार हुए। वह तो पूरी रिकॉर्डिंग सुनने पर ही जाना जा सकता है।

सोशलिस्टो के पुरखो द्वारा नौजवान लड़के लड़कियों को नवचेतना समाजवाद लोकतंत्र देशभक्ति, जुल्म ज्यादती के खिलाफ लड़ने के साथ-साथ जाति मजहब क्षेत्रीयता जैसे मुल्क तोड़क साजिशों के इतिहास और उसके खिलाफ लामबंद होने के लिए जिस ‘राष्ट् सेवा दल’ की स्थापना की थी, उसके अध्यक्ष तथा फिल्म निर्माता, निर्देशक, नितिन वैद ने आज के दौर की फिल्मों, उसमें खास तौर पर धन की भूमिका पर आज कीं आर्ट फिल्मों से लेकर कमर्शियल फिल्मों की पेचीदगीयो पर जहां गहराई से रोशनी डाली वहीं, सरकारी सेंसर बोर्ड द्वारा पास फिल्मों पर सरकारी सांप्रदायिक कारनामे और धन पशुओं की लूट के कुछ नमूने सेंसर बोर्ड की नजर से जो छूट गए थे उसके पकड़ आते ही अपने शासित सुबो में फिल्मों के प्रसारण पर बंदिश लगाने का कच्चा चिट्ठा नितिन वैद ने कल की सभा में खोल दिया।

जहां कल के इस इजलास में इन तजुर्बेकार महारथियों की बानगी को सुनने का मौका श्रोताओं को मिला, वहीं नयी पीढ़ी के जागरूक संवेदनशील वैचारिकता से भरपूर दो नौजवान वक्ताओं आकृति भाटिया और कबीर श्रीवास्तव ने भी श्रोताओं को चौंकाया।
पीएचडी की सनदयाफ्ता आकृति ने मजदूर संगठनों आंदोलन पर गहरी रिसर्च के आधार पर अपना व्याख्यान केंद्रित किया। जो नई बात सुनने वालों को मिली की कैसे मोदी सरकार में बने श्रमकानूनों की आड़ में मजदूरों के बुनियादी अधिकारों को छीना जा रहा है उसको सिलसिलेवार प्रस्तुत किया।

सुप्रीम कोर्ट के नौजवान वकील कबीर श्रीवास्तव न केवल एक वकील हैं, वकालत के साथ-साथ हिंदुस्तान के संविधान उसके कानून पर मुसलसल हिंदुस्तान के प्रसिद्ध अखबारों पत्र पत्रिकाओं में अपनी समीक्षा लेख, लिखते रहते हैं। कानूनी जगत में उनकी पहचान एक पहरूये की बनी है। कल उन्होंने अपने व्याख्यान को जैसे यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर अपने छात्रों को भाषण, स्लाइड, किताबों के उदाहरण, कौन-कौन सी किताब इस विषय पर आयी है बताते हैं, उसी अंदाज में एक खुश्क पेचीदे मजमून पर अंग्रेजी हिंदी में मिली जुबान में प्रस्तुत किया। तथा उस दौरान हाल में पिन ड्रॉप साइलेंस रहा वह भी एक अचरज था। आकृति और कबीर के वक्तव्यों को सुनकर एक नई आशा जगी है, की सरकारी प्रचार कितना भी लाभबंद हो परंतु उसकी हकीकत से रूबरू कराने वाली बेखौफ नस्ल भी साथ-साथ पैदा हो रही है।

कल के प्रोग्राम की एक और खासियत जो मुझे पता है की राजनीतिक सामाजिक जागरण का अलख जगाने वाले कभी स्टेज पर आसन्न होकर अपना ढिंढोरा नहीं पिटते। उसकी मिसाल रमाशंकर सिंह बने। इस सारे आयोजन की रूपरेखा, तैयारी, विषय तथा वक्ताओं का चयन उनकी सूझबूझ का नतीजा था। समाजवादी समागम की हिदायत से मजबूर होकर रमाशंकर को एंकर अथवा सभा का संचालन करना पड़ा। तथा जिस खूबी से उन्होंने वक्ताओं का तारूफ करवाया वह भी बेजोड़ था। अपने पद प्रतिष्ठा के अहंकार को दफन कर एक कार्यकर्ता की हैसियत से दशकों में बैठकर अपनी जिम्मेदारी को निभाया यह भी एक सबक बन गया।

सर के सफेद बाल, उम्रदराजी तथा सभा की रिवायत के कारण अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाये जाने के अलावा मेरी कोई भूमिका, योगदान इस आयोजन में नहीं था।
दिल्ली में सोशलिस्टों के प्रोग्राम की एक तरफा जिम्मेदारी निभाने वाले नगर निगम के तीन बार के चुनिंदा पार्षद राकेश कुमार ने सभी का शुक्रिया अदा किया।
खचाखच भरे तिकोनै हाल के हर कोने पर खड़े होकर भी लोग सुन रहे थे। मेरे लिए तो एक सुखद वजह यह भी थी की दिल्ली से बाहर के कर्नाटक, मुंबई, यूपी बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब वगैरहा के कद्दावर सोशलिस्टों ने भी भागीदारी करके हौसला अफजाई की।

By nit

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d