सातवें दिन के गणेश जी का विसर्जन, धर्माधिकारी प्रतिष्ठान की ओर से किया गया सेवाकार्य, कांग वाघुर के सुशोभा की अनदेखी से पर्यावरण प्रेमी नाराज | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सातवें दिन के गणेश जी का विसर्जन, धर्माधिकारी प्रतिष्ठान की ओर से किया गया सेवाकार्य, कांग वाघुर के सुशोभा की अनदेखी से पर्यावरण प्रेमी नाराज | New India Times

जलगांव शहर और उस के सभी तहसीलों में सात दिन के लिए स्थापित गणेश जी की प्रतिमाओं का शांतिपूर्ण तरीके से विसर्जन किया गया। जामनेर मे डॉ नानासाहब धर्माधिकारी प्रतिष्ठान की ओर से सेवाभावियो ने जगह जगह पर अस्थायी निर्माल्य संकलन केंद्र बनाए जिनकी सहायता से गणेश मंडलों तथा घरेलू गणेश प्रतिमाओं की पूजा अर्चना के लिए उपयोग में लाए गए फूल मालाएं, धूप, अगरबत्ती, पूजा साहित्य जैसे निर्मल तत्वो का संकलन किया गया। इस संकलन को नदी में फेंकने से बचते हुए जमीन में गढ्डा खोदकर दबाया गया कुछ महीनों बाद इस निर्मल साहित्य का खाद में रूपांतर होगा जो प्रतिष्ठान की ओर से लगाए गए पौधों को मजबूती देगा। संकलन केंद्र को उनके कार्य के लिए नगराध्यक्ष साधना महाजन, NCP के युवा नेता स्नेहदीप संजय गरुड़, महेंद्र बाविस्कर, डॉ प्रशांत भोंडे, आतिश झालटे ने शुभकामनाएं दी। कुल सात केंद्र पर प्रतिष्ठान के 210 सदस्य मौजूद रहे, 15 वाहनों से निर्मल साहित्य का यातायात किया गया।

सातवें दिन के गणेश जी का विसर्जन, धर्माधिकारी प्रतिष्ठान की ओर से किया गया सेवाकार्य, कांग वाघुर के सुशोभा की अनदेखी से पर्यावरण प्रेमी नाराज | New India Times

कांग – वाघुर नदियों के सुशोभीकरण की मांग – दस साल पहले जामनेर के कांग नदी के दोनों किनारों पर त्योहारों के चलते सामान्य नागरिकों की आवाजाही आसान थी। लेकिन आज नदी के दोनों किनारों को कांटो भरे बबूल के पेड़ों ने जकड़ लिया है। 2015 नासिक कुंभ आयोजन के जोश में नेताजी ने घोषणा की थी की कांग के किनारों पर बनारस (काशी) की तर्ज पर घाट बनाए जाएंगे जिससे आध्यात्मिकता और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा शहर का सांस्कृतिक विकास होगा। इस विषय को लेकर खबरे ऐसी चलाई गई की मानों घाट बन गए और लोकार्पण भी हो गया लेकिन हुआ कुछ भी नहीं।

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करोड़ों रुपए के घाट न सही पर पानी की तेज धार से जमीन के कटाव और बाढ़ से बचने के लिए नदियों के किनारों पर सुरक्षा दिवारे बनाई जाती तो नदिया नालों में तब्दील होने से बचाई जा सकती थी। कांग और वाघुर के सुशोभीकरण के लिए राज्यपाल शासित सरकार की ओर से ईमानदार प्रयास करने की मांग जनता से की जा रही है।

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