रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

हम सबका कर्तव्य है कि हम न्याय के मामले में सही और उचित फैसले दें और समाज के हर व्यक्ति को उनके अधिकारों का पालन करने का मौका दें – प्रधान जिला न्यायाधीश राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार एवं प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ श्रीमती विधि सक्सेना के मार्गदर्शन एवं लोक अदालत के नोडल अधिकारी/विशेष न्यायाधीश श्री विवेक सिंह रघुवंशी के निर्देशन में 9 सितम्बर 2023 दिन शनिवार को झाबुआ जिले की वर्ष की तृतीय नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
जिला न्यायालय परिसर झाबुआ स्थित ए.डी.आर सेंटर भवन में प्रातः 10ः30 बजे प्रधान जिला न्यायाधीश श्रीमती विधि सक्सेना एवं न्यायाधीशों तथा अधिवक्ताओं के द्वारा महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। लोक अदालत शुभारंभ के साथ ही विधिक सेवा प्राधिकरण के स्टाल का भी प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा फीता काटकर शुभारंभ किया। जिसमें प्राधिकरण द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से संबंधित पैंपलेट का लोक अदालत में आए हुए पक्षकारों को वितरित की गई। इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण एक महत्वपूर्ण कार्यालय है जो समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों को कानून सहायता प्रदान करती है। यह कार्यालय सुनिश्चित करती है कि सभी को न्याय पाने का समान अवसर प्राप्त हो।

शुभारंभ अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश श्रीमती विधि सक्सेना ने कहा कि लोक अदालत का गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 ए और विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के प्रावधानों के तहत किया गया। लोक अदालत का उद्देश्य त्वरित और निःशुल्क न्याय प्रदान करना है। लोक अदालत में विवादों का निपटारा आमतौर पर एक ही दिन में कर दिया जाता है। लोक अदालत में पक्षकारों के लिए वकीलों की सेवाऐं निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। आज हम सभी यहां इस लोक अदालत के सफल आयोजन के अवसर पर एक साथ आए हैं और मुझे गर्व है कि मैं इस आयोजन का हिस्सा हूं। यह संदेश देने का समय है कि हमारा न्यायिक प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है और कैसे यह नागरिकों के अधिकार और न्याय की प्राप्ति में मदद करता है। लोक अदालत एक ऐसा माध्यम है जो हमारे समाज के लोगों को न्याय दिलाने का कार्य करता है। यहां हर किसी को समान अवसर और न्याय मिलता है चाहे वह धनी हो या गरीब। हमारे न्यायिक प्रक्रिया का उद्देश्य न्याय और सत्य की प्राप्ति है।
इस आयोजन के माध्यम से हमने समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के बीच न्याय के प्रति विश्वास और सहमति को मजबूत किया है। मैं इस अवसर पर सभी न्यायाधीशों, वकीलों और अन्य कर्मचारियों को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया। हमारे समाज को एक बेहतर और न्यायपूर्ण स्थिति में ले जाने के लिए आपका काम महत्वपूर्ण है और हम आपकी सेवाओं के लिए आभारी हैं। इस अवसर पर हम सभी को यह याद दिलाना चाहिए कि न्यायिक प्रक्रिया को सुनिश्चित रूप से पालन करना हमारे समाज की न्यायिकता को मजबूत और सुरक्षित बनाता है। हम सबका कर्तव्य है कि हम न्याय के मामले में सही और उचित फैसले दें और समाज के हर व्यक्ति को उनके अधिकारों का पालन करने का मौका दें। उन्होंने ने कहा कि लोक अदालत में मध्यस्थों एवं अधिवक्ताओं की भूमिका अहम होती है उनके सहयोग से ही प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। संबोधन की कड़ी में प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि नेशनल लोक अदालत वादकारियों के लिए वरदान है, जिसमें मामले सुलह समझौते के आधार पर समाप्त किए जा सकते है एवं छोटे मामलों का त्वरित निराकरण किया जाता है। लोक अदालत को सफल बनाने के लिए अधिवक्ताओं की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि वह वादकारियों व न्यायालय के बीच की कड़ी है। लोक अदालत का सबसे बड़ा गुण निःशुल्क तथा त्वरित न्याय विवादों के निपटारे का वैकल्पिक माध्यम है। इसका उद्देश्य है कि देश का कोई भी नागारिक आर्थिक या किसी अक्षमता के कारण न्याय पाने में वंचित न रहे जाए।
कार्यक्रम में लोक अदालत के नोडल अधिकारी/विशेष न्यायाधीश श्रीमान विवेक सिंह रघुवंशी ने कहा कि लोक अदालत प्रकरणों के निराकरण का एक सरल माध्यम है, इसमें धन व समय की बचत होती है। पक्षकार मध्यस्थता के माध्यम से भी अपने प्रकरणों का निराकरण कर सकते है। उन्होंने उपस्थित सभी मध्यस्थों एवं अधिवक्ताओं से आग्रह किया की न्याय प्रशासन के साथ मिलकर सहयोग करें एवं अधिक से अधिक लंबित प्रकरणों का निपटारा कराने की कोशिश करें। कार्यक्रम में अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष दीपक भण्डारी ने कहा कि अदालतों पर मुकदमों का अधिभार लगातर बढ़ रहा है ऐसे में लोगों को चाहिए की वह अपने छोटे-छोटे मामलों व झगड़ों को आपसी सुलह समझौते के माध्यम से निराकरण कराएं। ताकि उन्हें अनावश्यक रूप से न्यायालय का चक्कर न लगाना पड़े। उन्होंने अधिवक्ता संघ की ओर से लोक अदालत में हमेशा सहयोग करने की बात की।
प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ श्रीमती विधि सक्सेना के निर्देशानुसार इस लोक अदालत के लिए जिला न्यायालय झाबुआ, तहसील न्यायालय पेटलावद एवं तहसील न्यायालय थांदला हेतु कुल 14 खंडपीठों का गठन किया गया था। 14 खंडपीठों में न्यायालय के कुल प्रकरण 1508 में से कुल 335 प्रकरणों का निराकरण हुआ जिसमें कुल 1290 व्यक्ति लाभांवित होकर अवार्ड राशि 62648325/- रूपये प्राप्त हुए एवं प्रिलिटीगेशन में कुल 5428 प्रकरण रखे गए। जिसमें कुल 419 प्रकरणों का निराकरण कर कुल 423 व्यक्ति लाभांवित होकर अवार्ड राशि 7163461/- रूपये पारित हुई। इस प्रकार न्यायालय एवं प्रिलिटीगेशन के कुल 754 प्रकरणों का निराकरण हुआ। लोक अदालत के माध्यम से कई पक्षकारों के मध्य आपसी मधुर संबंध स्थापित हुए।सभी अधिवक्तागण, लोक अदालत खंड पीठ के सदस्य, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी एवं न्यायालयीन कर्मचारियों का भी सराहनीय सहयोग रहा। आगामी नेशनल लोक अदालत पुनः आयोजित की जायेगी।
लोक अदालत के माध्यम से जो भी पक्षकार अपना प्रकरण निराकरण करवाना चाहता हैं वह अपने संबंधित न्यायालय अथवा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ में संपर्क कर सकते हैं।
इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय झाबुआ नरेन्द्र प्रताप सिंह, विशेष न्यायाधीश विवेक सिंह रघुवंशी, प्रथम जिला न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार शर्मा, द्वितीय जिला न्यायाधीश सुभाष सुनहरे, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गौतम सिंह मरकाम, न्यायिक मजिस्ट्रेट विजय पाल सिंह चौहान, सुश्री साक्षी मसीह, श्रीमती पूनम सिंह, बलराम मीणा, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री दीपक भण्डारी, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री सागर अग्रवाल, अधिवक्तागण, विभिन्न विभागों के अधिकारीगण, न्यायालयीन कर्मचारीगण, खण्डपीठ सदस्यगण एवं पक्षकारगण उपस्थित रहे।