अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT; राजस्थान के सीकर जिले के कांग्रेसी नेताओं की पावर केवल अपने तक सीमित रखने जैसी नीतियों के चलते पहले सीकर नगर परीषद में कांग्रेस के भारी बहुमत व अध्यक्ष/उपाध्यक्ष चयनित होने के बावजूद उनके हाथ से सभी उप समितियां निकल कर भाजपा के खाते में जाने से पुर्व विधायक राजू पारीक को बडा सियासी झटका लगने से सदन में अक्सर कांग्रेस की काफी किरकिरी होती आ रही है। उसी तर्ज पर धोद विधानसभा के लोसल नगर पालिका में कांग्रेस के भारी बहुमत व अध्यक्ष/उपाध्यक्ष चयनीत होने के बावजूद उप समितियां भाजपा के खाते में जाने से पुर्व विधायक परशराम मोरदीया को भी बडा झटका लगने से धोद क्षेत्र में पिछले चुनावों में जमानत गवां चुकी कांग्रेस पार्टी की पतली हालत को सिर मुडवाते ही ओले पड़ने वाली कहावत से जोड़कर देखा जा रहा है।
सीकर जिला कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं की मंशानुसार सत्ता की डोर केवल अपने हाथ तक सीमित रखने की जिद व लालच के कारण सरकारी आदेशानुसार मिले समय में उप समितियों का गठन बोर्ड द्वारा नियत समय में नहीं करने पर राज्य सरकार को मजबूरन पहले सीकर नगर परीषद की सभी उप समितियों का गठन अपने स्तर पर करने को मजबूर होना पड़ा था। उस सबक से सीख नहीं लेने के चलते लोसल नगर पालिका की उप समितियों का भी आखिरकार राज्य सरकार को ही सभी उप समितियों का गठन मजबूरन करने से आम कांग्रेस वर्करस में निराशा व भाजपा वर्करस् में खूशी के भाव उत्पन होते नजर आ रहे हैं।
लोसल नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर बाबूलाल कुमावत को कांग्रेस नेताओं के थोपने पर कांग्रेस समर्थित 6 मुस्लिम पार्षदों में तत्तकालीन समय से भारी असंतोष व्याप्त हो जाने पर कांग्रेस ने मुस्लिम महिला को अंपचारिक पद उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार तो बनाया लेकिन उससे मुस्लिम समुदाय अपनी सियासी तौहीन मानकर बदला लेने के लिये नेताओं को सबक सिखाने के मौके की तलाश में काफी समय तक रह कर उप समितियों में अपनी महत्ती भुमिका निभाकर कांग्रेस को तगड़ा झटका दे दिया है। नगर पालिका में गठित होने वाली कुल 9 समितियों में से एक कार्यपालक समिति का अध्यक्ष चेयरमैन के होने की बाध्यता के होने के कारण बाकी आठ समितियों में से चार समितियों के अध्यक्ष मुस्लिम पार्षद बनने के साथ साथ बाकी पांच समितियों मेंभी मुस्लिम पार्षद बतौर सदस्य कायम है। अगर मुस्लिम समुदाय में कांग्रेस नेताओं की हठधर्मिता के चलते नाराजगी की हालत इसी तरह कायम रही तो एक साल बाद होने वाले विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को मुस्लिम समुदाय की नाराजगी बडी पीड़ा पहुंचाने वाली साबित हो सकती है।
कुल मिलाकर यह है कि लोसल नगर पालिका के 21-अगस्त-2015 को हुये चुनावों में कांग्रेस को भारी बहुमत मिलने पर पालिका बोर्ड अध्यक्ष पद पर बाबूलाल कुमावत को जबरदस्ती थोपने से उपजी नाराजगी दूसरे ही दिन उपाध्यक्ष के चुनाव के समय पार्षदों की टूटन से ही क्लीयर नजर आने लगी थी। फिर भी पार्षदों की एकता के लिये कांग्रेस ने ज्यों ज्यों दवा दी, त्यों त्यों मर्ज बढता ही गया वाली कहावत को राज्य सरकार ने मजबूरन उप समितियों का गठन करने से सही साबित कर दिया है। इन दोनों पालिका/परिषद में राज्य सरकार द्वावा उप समितियों के गठित होने से भाजपा विधायक गोरधन वर्मा व रतनलाल जलधारी की प्रतिष्ठा को काफी हद तक फायदा पहुंचा है। दूसरी तरफ पिछले दिनों माजिद नामक बकरामंडी व्यापारी के लुटेरों द्वारा हत्या करने के बाद उपजे हालात में केवल माकपा के पुर्व विधायक अमराराम द्वारा पीडितों को राहत पहुंचाने के लिये लम्बा व निर्णायक आंदोलन चलाकर राहत पहुंचाने से भी कांग्रेस की बजाय माकपा की तरफ मुस्लिमो का जुड़ाव तेजी के साथ बढ रहा है।
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