नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
सरकार की ओर से कपास को 15 हजार रुपये का दाम दिया जाए इस मांग को लेकर जलगांव जिला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से आमरण अनशन शुरू किया गया है। पार्टी के युवा नेता रविंद्र पाटिल अनशनकारी बने हैं। 14 जून से जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आरंभ हुए अनशन के पंडाल में NCP के तमाम नेतागण हाजरी लगाने पधार रहे हैं। 2012 में जामनेर से भाजपा विधायक गिरीश महाजन ने कपास के समर्थन मूल्य को लेकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के ख़िलाफ़ आमरण अनशन किया था जिसके मेरिट के आधार पर वह 2014 में देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री बन गए। NCP के वर्तमान आंदोलन को महाजन के तत्कालीन आंदोलन का काउंटर आंदोलन बताया जा रहा है।
महाविकास आघाडी की शक़्ल में खुद को जनता के सामने भाजपा के मुख्य विरोधी संगठन के रूप में प्रस्तुत करने वाला विपक्ष किसानों को लेकर व्यक्तिगत तौर पर आंदोलन कर अपने अपने जनाधार को स्वतंत्र तरीके से मजबूती देने का प्रयास कर रहा है। विपक्षी दल जगह जगह पर शिंदे-फडणवीस सरकार की अंतयात्राएं निकालकर क्रियाकर्म, पिंडदान मुंडन, कर्मकांड जैसे संस्कारों को सार्वजनिक स्वरूप देकर टीवी स्क्रीन पर लोकप्रियता बटोरने में लगा है। इसमे मजे की बात यह है कि कुछ दल अपने आंदोलनों को हिंदू किसान आंदोलन का नाम देकर समाज में सांप्रदायिक अजेंडा सेट कर रहे हैं। मोदी सरकार की गलत आयात नीति के कारण इस साल कपास के दाम बुरी तरह से पिट गए हैं। मानसून की स्थिति कुछ बेहतर नहीं है, बारिश पर निर्भर काश्तकारों की परेशानियों में बढ़ोतरी होने वाली है। अनशन के लिए NCP ने जो समय चुना है वह पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के जलगांव दौरे के ठीक तीन दिन पहले का है। 16 जून को शरद पवार अमलनेर आने वाले हैं, तो क्या उसी दिन NCP के इस आमरण अनशन का समापन हो जाएगा ऐसे तर्क को राजनीतिक हलकों में काफी स्पेस मिल रहा है। विपक्ष की एक मजबूरी यह भी है कि वह सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को मनवा नहीं सकता क्योंकि कानूनी तौर पर सरकार ही असंवैधानिक है।
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