त्रिवेंद्र जाट, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
यदि गलत को गलत कहने की क्षमता नहीं है तो आपकी प्रतिभा व्यर्थ है परंतु शिक्षा विभाग में गलत को गलत कहना आसान नहीं है। एक ईमानदार और कड़क अफसर का सहकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट करने जैसी किसी भी कार्रवाई का नतीजा यह होता है कि पूरा सिस्टम उसके खिलाफ एकजुट हो जाता है। ईमानदार अफसरों को अपने सिद्धांतों का पालन करते हुए अपने पद पर बने रहना अग्नि परीक्षा बन गया है। ईमानदार नौकरशाहों की दुर्लभ नस्ल का एक उत्कृष्ट उदाहरण सागर जेडी मनीष वर्मा हैं।
शिक्षा जैसी सेवा को धंधा बनाने वाले माफियाओं की अवैध करतूतों पर सख्ती करना जेडी मनीष वर्मा की पुरानी आदत रही है। इंदौर में अपने कार्यकाल में वर्मा ने संयुक्त संचालक रहते हुए 191 में से अपात्र 163 स्कूलों की मान्यता निरस्त कर दी थी। नकल माफिया पर ऐसी नकेल कसी की नकल कराने का ठेका लेने वालों की अक्ल ठिकाने पर आ गई,10 अक्टूबर 2018 को संयुक्त संचालक, इंदौर संभाग का कार्यभार संभालते ही वर्मा ने सबको यह बता दिया कि काम करने की पुरानी रीति अब नहीं चलेगी, मजे मारने वालों को जब काम करना पड़ा तो नौटंकी करने वालों की लाइन लंबी हो गई… पुरानी भ्रष्टाचार की पोल खुलने लगी, रिकॉर्ड में हेराफेरी करने वालों के नाम जांच में आने लगे, टेंडर में होने वाली गड़बड़ियों पर रोक लगने लगी, नवीन मान्यता/नवीनीकरण के लिए प्रस्तुत भूमि/भवन संबंधी अवैध दस्तावेज पकड़े गए, फर्जी रजिस्टर्ड किरायानामा प्रस्तुत करने वालों पर कार्यवाही सुनिश्चित की गई, स्कूल शिक्षा विभाग के अधीनस्थ कर्मचारियों अधिकारियों को यह समझ आने लगा कि अब गलत को गलत कहने वाला आ गया है यहीं से मनीष वर्मा को इंदौर से तुरंत हटाने की नई जुगत शुरू हो गई, शिक्षा माफिया नहीं चाहता था कि गलत को गलत कहने वाला यहां ज्यादा देर टिका रहे। शिक्षा माफियाओं पर सरकार की सख्ती और जेडी मनीष वर्मा की कार्यप्रणाली से शिक्षा को धंधा बनाने वाले घबरा गए थे ऐसे ही घबराहट अब सागर संभाग के शिक्षा माफियाओं में दिख रही है, सरकार जहां माफियाओं को लेकर सख्त है, वही वर्मा की कार्यप्रणाली व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से नकल माफिया हारता नजर आया, वर्ष 2023 की बोर्ड परीक्षा में तेंदूखेड़ा व बनवार जैसे क्षेत्रों में नकल माफिया की कमर टूट गई। दृढ़ संकल्प प्रशासनिक कार्य प्रणाली ने नकल माफिया के किले को ध्वस्त कर दिया मगर यहीं से जेडी मनीष वर्मा शिक्षा माफियाओं की आंखों का चुभता हुआ कांटा बन गए। कहते हैं शिक्षा शेरनी का दूध है और जो पिएगा वह दहाड़ेगा और कम से कम सागर संभाग में मौजूदा प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षा माफियाओं को अपने पंजे के नीचे दबा कर रखे हुए हैं जो कि भविष्य की शैक्षणिक व्यवस्था के लिए शुभ संकेत है परंतु साथ ही यह भी संदेह है कि कहीं यह शुभ संकेत किसी दीर्घकालीन षड्यंत्र के भेंट न चढ़ जाए।