रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
कैथोलिक ईसाई समाज के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के प्रतिनिधि के रूप में वेटिकन राजदूत आर्चबिशप लियोपोल्डो जीरेली 25 मार्च को झाबुआ आएंगे। वे यहां झाबुआ डायोसिस की 21वीं वर्षगांठ पर नवनिर्मित चर्च में आयोजित समारोह में हिस्सा लेंगे। वर्ष 2002 में इसी दिन झाबुआ डायोसिस की स्थापना हुई थी और झाबुआ के चर्च को कैथेड्रल (महागिरिजाघर) घोषित किया गया था। यह पहला मौका होगा जब सीधे वेटिकन के राजदूत यहां आ रहे हैं, ऐसे में ईसाई समुदाय में जबरदस्त उत्साह है। चर्च में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आर्चबिशप लियोपोल्डो जीरेली के साथ समारोह में भोपाल के आर्च बिशप डॉ एएएस दुराईराज और आर्च बिशप लियो कार्नेलियो भी मौजूद रहेंगे। उनके मार्गदर्शन में नए चर्च भवन में सुबह 11 बजे पवित्र मिस्सा बलिदान का आयोजन किया जाएगा। यूं तो नवनिर्मित चर्च में 26 अगस्त 2022 से प्रार्थना प्रारंभ हो चुकी है, लेकिन वेटिकन के राजदूत आर्च बिशप लियोपोल्डो जीरेली के आगमन को चर्च के औपचारिक उद्घाटन से ही जोड़कर देखा जा रहा है। झाबुआ का यह चर्च संभवतया मप्र का सबसे बड़ा चर्च है।
140 साल का इतिहास है झाबुआ में ईसाई समुदाय का
यदि झाबुआ में ईसाई समुदाय की गतिवधियों की बात करें तो करीब 140 साल पुराना इतिहास जुड़ा है। बताया जाता है कि झाबुआ स्टेट के समय सबसे पहले वर्ष 1883 में फादर चार्ल्स झाबुआ आए थे। उन्होंने यहां 1903 में कैथोलिक मिशन परिसर की स्थापना की। इसके बाद वर्ष 1923 में झाबुआ के कैथोलिक चर्च की स्थापना हुई। इस चर्च का उदघाटन अजमेर के बिशप हेनरी कोमोंट ने किया था। इस चर्च के दूसरे हिस्से का निर्माण वर्ष 1935 में किया गया। चुने और पत्थर से बने होने के कारण भवन कमजोर हो गया था, लिहाजा इसके जीर्णोद्धार का निर्णय लिया गया। 8 सितंबर 2019 को दिवंगत बिशप बसील भूरिया ने विधिवत नए चर्च के निर्माण का कार्य प्रारंभ करवाया। लिहाजा अब नए चर्च भवन में तीन शिलालेख लगाए जाएंगे।
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन अलर्ट
वेटिकन के राजदूत आर्च बिशप लियोपोल्डो जीरेली के झाबुआ आगमन को लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर आ गया है। खुफिया एजेंसी हर चीज की रिपोर्ट ले रही है। चूंकि झाबुआ में चर्च के निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि कई बार विरोध दर्ज करवा चुके हैं। आए दिन धर्मांतरण का मुद्दा भी उठाया जाता है। ऐसे में शासन-प्रशासन सुरक्षा के मुद्दे पर किसी तरह की रिस्क नहीं लेना चाहता। आर्च बिशप के झाबुआ दौरे पर केंद्र और राज्य दोनों की निगाह रहेगी।
10 हजार वर्गफीट में बना है नया चर्च
नए चर्च का निर्माण 10 हजार वर्ग फुट में किया गया है। यह पूरी तरह से गोथिक आर्किटेक्चर पर बना है। मध्ययुग में यूरोप में इसी शैली में निर्माण हुए हैं। चर्च के मुख्य डोम में प्राकृतिक रंगों से प्रभु यीशु के जीवन से जुड़ी पेंटिंग बनाई गई है, जो अगले 100 सालों तक खराब नहीं होगी। इसके अलावा चर्च में प्रभु यीशु के 12 शिष्यों की मूर्तियां भी लगाई गई है।
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