नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
2014 वह साल है जब सूबे की देवेंद्र फडणवीस सरकार में जामनेर को गिरीश महाजन के रूप में पहली बार कैबिनेट मंत्री का पद मिला, आज दूसरी बार एकनाथ शिंदे सरकार में महाजन को मंत्री बनाया गया है जिसे लेकर जनता में पहले जैसा आकर्षण कहीं दिखाई नहीं पड़ता। जनप्रतिनिधि होने के नाते फडणवीस सरकार में मंत्री रहते महाजन ने अपने गृहनगर की बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए सीधे केंद्र तथा राज्य सरकार, DPDC, अलग अलग पे कमिशन्स और अन्य इकाइयों से सैकड़ों करोड़ रुपयों का फंड उपलब्ध कराया। उस समय शहर में अनेक विकास कार्य पूरे किए गए उसी में एक महत्वपूर्ण काम था 8 करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई वो अप्रतिम मजबूत और बेजोड़ फोरलेन सड़क जिसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाना इंजीनियरिंग प्रोफेशन का अपमान करने जैसा होगा। इसी सड़क के बीच खड़े खंभों पर कानून व्यवस्था की पैरवी के लिए 80 लाख रुपया खर्च कर CCTV कैमरों का प्रावधान किया गया। कैमरों की इस सिस्टम को बिठाए 5 साल हो गए हैं लेकिन यह कैमरे आज तक शुरू नहीं हो सके हैं. मेंटेनेंस के नाम पर पांच सालों में कई बार बैटरी बॉक्स बदले गए, खंभों को रंगा गया, कैमरे बदले गए लेकिन ये कैमरे डेटा इस लिए कलेक्ट नहीं कर पाए क्योंकि उन्हें शुरू ही नहीं किया गया। आज भी बीते एक हफ्ते से मरम्मत के नाम पर ठेकेदार की ओर से इस सिस्टम को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है यहाँ से वहाँ केबल बिछाई जा रही है (कृपया केबल को मुफ्त वाईफ़ाई की केबल न समझें), कैमरे बदले जा रहे हैं वगैरा वगैरा। जानकारी के मुताबिक काम का सहायक विकासक जालना का कोई शख्स है वहीं मूल ठेकेदार स्थानीय बताया जा रहा है। सरकारी खजाने से 80 लाख रुपए खर्च कर खड़ी की गई सिस्टम की इस बदहाली के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? इस मामले में संबंधितों द्वारा बार बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद सघन जांच क्यों नहीं की गई? कई सवाल हैं जो बिना जबाब मिले खंभों पर लगे इन कैमरों की तरह जंग खाकर सड़ चुके हैं। बहरहाल अगर संभव हुआ तो इस मामले की नए सिरे से जांच कराने की मांग जनता की ओर से की जा रही है।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.