देश के जानेमाने लेखक, विश्लेषक व पत्रकार तथा भारत सरकार के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर को वर्ष 2021 का लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से किया गया सम्मानित | New India Times

हिमांशु सक्सेना, ग्वालियर (मप्र), NIT:

देश के जानेमाने लेखक, विश्लेषक व पत्रकार तथा भारत सरकार के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर को वर्ष 2021 का लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से किया गया सम्मानित | New India Times

देश के जानेमाने लेखक विश्लेषक व पत्रकार तथा भारत सरकार के सूचना आयुक्त उदय माहुरकर को आज आयोजित भव्य व गरिमामय आयोजन में वर्ष 2021 का लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों प्रदान किया गया। इस अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में एक दर्जन से अधिक पत्रकार भी सम्मानित किए गए।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पत्रकार अपनी मेहनत शोध व खून पसीने से किसी भी विषय को तैयार करते हैं जो विविध क्षेत्रों में समाज का मार्गदर्शन करता है। श्री सिंधिया ने कहा कि प्रजातंत्र में पत्रकारिता व राजनीति दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू जैसे हैं। दोनों का ही लक्ष्य सत्य से जनसेवा करना है। सिंधिया ने कहा कि हम कर्मचारी हैं और आप पहरेदार हो पहरेदार का काम कर्मचारी को रास्ता दिखाना है। उन्होंने कहा की आज पूरी दुनिया में मूल्यों सिंद्धातों का प्रश्न बेहद अहम है। पत्रकारिता में भी यह बहुत आवश्यक है।

श्री सिंधिया ने कोरोनकाल में पत्रकारों द्वारा जान हथेली पर लेकर किये गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा की पत्रकारों ने कोरोना वारियर्स के रूप में जो कार्य किया वह बेहद साहसिक था उन्होंने न अपनी और न अपनों की चिंता की और कार्य में लगे रहे तथा अनेक पत्रकारों ने अपना बलिदान तक दे दिया। श्री सिंधिया ने आज सम्मानित हुए पत्रकारो को बधाई दी और आशा व्यक्त की वे प्रतिस्पर्धा व टी आर पी के इस दौर में भी पत्रकारिता के उच्च आदर्शो को कायम रखेंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे व आज सम्मानित किए गए पत्रकार, लेखक, विश्लेषक उदय माहुरकर ने अपने सम्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में मीडिया के बीच बढ़ते टी आर पी आधारित जर्नलिज्म की परंपरा देश के लिए बीमारी की तरह घातक है। उन्होंने कहा की मेरे विचार से पत्रकार में राष्ट्रीय भाव अर्थात नेशन फस्ट की भावना का जागृत होना बेहद आवश्यक है। उन्होंने वीर सावरकर से खुद इस बात की प्रेरणा लिए जाने की बात कही । उन्होने कहा कि पंडित नेहरू और सावरकर एक दूसरे के विरोधी थे बावजूद इसके कई बार सावरकर ने नेहरू के कार्यों का समर्थन किया यह राष्ट्र फस्ट की भावना का ही परिणाम था। श्री माहुरकर ने कहा की नेशन फस्ट का भाव रखकर यदि देश की पत्रकारिता चलेगी तो देश और अधिक तेजी से विकास करेगा।


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By nit

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