साबिर खान, उन्नाव/लखनऊ (यूपी), NIT:
भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर की अग्रिम जमानत याचिका को लेकर न्यायिक प्रक्रिया में भी जमकर राजनीति होने बात कही जा रही है। इसी वर्ष फरवरी माह में दो दलित युवतियों की हत्या को लेकर न्याय की आवाज उठाने वाले भीम सेना के मुखिया नवाब सतपाल तंवर की मुश्किलें उस वक्त बढ़ गईं जब उनके ऊपर सदर कोतवाली थाने में आईपीसी की धारा 153 और आईटी एक्ट 66 में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया। गिरफ्तारी के बढ़ते दवाब के चलते तंवर ने उन्नाव जिला सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की। मामले में पहली सुनवाई 20 सितम्बर को हुई। जिला सत्र न्यायाधीश हरवीर सिंह ने सुनवाई करते हुए योगी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब कर लिया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए आखिर आईटी एक्ट 66 क्यों लगाया गया जबकि आईटी एक्ट 66 को सुप्रीम कोर्ट रद्द कर चुका है। सुनवाई की अगली तारीख दो दिन बाद मुकर्रर की गई थी। दो दिन बाद 22 सितम्बर को योगी सरकार ने अदालत से 27 सितम्बर तक के लिए समय मांग लिया था।
27 सितम्बर सोमवार को जिला सत्र न्यायाधीश हरवीर सिंह की अदालत में सुनवाई होनी तय थी लेकिन रातों-रात जस्टिस हरवीर सिंह को छुट्टी पर भेज दिया गया। मामले की सुनवाई अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश अहसान उल्लाह खां की अदालत में हुई। नए सिरे से सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसान उल्लाह खां ने सरकार से ट्विटर अकाउंट की जांच रिपोर्ट, आईडी, सीडी आदि की मांग की तो सरकार जवाब नहीं दे पाई। बहस करते हुए भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर के अधिवक्ता दिलीप पाल ने इन्हें फर्जी केस में फंसाने के आरोप लगाए और दलील देते हुए कहा कि तंवर को राजनीतिक षड्यंत्र के तहत झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। इस पर सरकारी अधिवक्ता अनिल त्रिपाठी के पास कोई जवाब नहीं था। सुनवाई के दौरान भीम सेना उन्नाव जिला अध्यक्ष विजय कुमार, मुकेश कुमार आदि कई भीम सैनिक अदालत में मौजूद रहे। मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए जस्टिस अहसान उल्लाह खां ने सरकार को दो दिन का समय दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 29 सितम्बर को होगी।
वहीं बड़े सवाल उठ रहे हैं कि अग्रिम जमानत याचिका को तत्काल सुनवाई करके निपटाया जाता है लेकिन मामले में पूरे दो सप्ताह खींचे जाने से सवाल उठ रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ सरकार में न्यायिक प्रणाली भी स्वतंत्र नहीं है। पहली सुनवाई 20 सितम्बर को होती है तो जस्टिस हरवीर सिंह सरकार से जवाब तलब करते हैं और इसके बाद दूसरी सुनवाई 22 सितम्बर को होती है तो सरकार समय मांग लेती है। वहीं तीसरी सुनवाई 27 सितम्बर को होनी होती है तो जिला सत्र न्यायाधीश हरवीर सिंह को अचानक बिना पूर्व सूचना रातों-रात छुट्टी पर भेज दिया जाता है। मामले पर अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश अहसान उल्लाह खां सुनवाई करते हैं और सरकार से ट्विटर आदि की रिपोर्ट की मांग करते हैं तो सरकार जवाब नहीं दे पाती तो ऐसे में मामले पर 29 सितम्बर तक के तारीख आगे बढ़ा दी जाती है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ सरकार पर न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने के आरोप लग रहे हैं।
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