रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी क्षेत्र में सर्व प्रथम पुजनीय भगवान गजानंद जी की प्रतिमा की स्थापना विधि विधान पूजा पाठ कर धूमधाम से की गई.
गोबर से बनी गणेश जी की मुर्ति की स्थापना मेघनगर के श्री प्रांजल भरत मिस्त्री के घर पर की गई. पर्यावरण के बचाव की भावना रखने वाले अपने घर पर गोबर से निर्मित गणेश जी की मुर्ति स्थापित की. शर्मा ने बताया कि बहुत से लोग बाजार में बिकने वाली पीओपी की मुर्ति स्थापित करते हैं और नदी तालाब में विसर्जित करते हैं जिससे पानी प्रदुषित होता है. गोबर से निर्मित गणेश जी की मुर्ति को एक बाल्टी में विसर्जित कर उस पानी को पौधे के गमले में डाल दिया जाएगा जिससे पौधे को खाद भी मिलेगा और हमारी आस्था भी बनी रहेगी.
भगवन शिव ने पार्वती से कहा था की हमेशा किसी भी शुभ कार्यों में हमारे पुत्र गणेश सर्व प्रथम पुजनीय रहेंगे. कोई भी यज्ञ पुजन विवाह आदि जो भी शुभ कार्य करते समय सबसे पहले गणराज का स्मरण किया जाएगा उसके पश्चात ही दूसरे देव की पूजा होगी.
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