माह रमज़ान खत्म होने पर खुशी का इज़हार, माफ़ करना दोस्तों ! लेकिन गम और अफसोस के साथ: मो तारिक  | New India Times

मोहम्मद तारिक, भोपाल, NIT; ​माह रमज़ान खत्म होने पर खुशी का इज़हार, माफ़ करना दोस्तों ! लेकिन गम और अफसोस के साथ: मो तारिक  | New India Timesमैं ईद तो मनाऊंगा लेकिन कुछ गम और अफ़सोस के साथ, वो खुशी नहीं दुख के साथ क्यूंकि दहश्तगर्दी से भारत का अभिन्य अंग कशमीर अशांत और 7 दशक से निरंतर सैनिक शहीद, अवाम भी परेशान, अशांत धार्मिक कटूताओं के चलते हिंसा, बलात्कार, आगज़नी, भड़काऊ उत्तेजना पूर्ण भाषण, दूर्भव्यवहार, छेड़छाड़, सांप्रदायिकता के चलते गावों के गावों खालीं।

 बस यही सब देखकर सुनकर दुखद वन्देमातरम, भारत माता, जय हिंद, जय भारत कहकह कर लूट रहे बारी बारी ! हम न धर्म न जात की बात करेंगे, सिर्फ और सिर्फ मानवता की बात करेंगे की थोड़ा यह भी बतलाइए तो ज़रा 15% अल्पसंख्यक 85% बहुंसंख्यक पर कैसे भारी?  या सिर्फ यह उनको सोचना चाहिये ! जो गाय को गौ माता तो कहते लेकिन लालन पालन नहीं करते, गौ दूध दूहकर उसे ध्क्के देकर बाहर भगा देते,  वो इधर उधर खेत-खलियानों में घुस जाती और अकेले डंडे खाती या फिर अपनी भूक की पीढ़ा मिटाने कूड़े पर कूड़ा करक्ट पोलिथिन (पन्नी) खाती और अपनी जान से हाथ धो बैठती ! तो कभी गौ रक्षकों ने इस और ध्यान दिया नहीं क्यूंकी गौ माता तो अब भारतिय मुस्लिमों के विरूध आरडीएक्स समान, जबकी तुम न करों सम्मान और विदेशी मुद्रा पाने गौ माता का मांस भेज देते विदेशी मुलकों में ! स्विस बैंक में किस्का खाता और यह भी बतलाओ भारतीय खज़ाने को कौन नुकसान पहुंचाता? घोटालों पर घौटाला आज तक कोई पकड़ा न गया ! खेतिहर मज़दूर को भूमी न देकर निज़ी कम्पनियों को भूमी देकर शासकिय भूमियां कौन खुर्द बूर्द कर रहा?

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हम सब के पूर्वज ही थे! मादर ए वतन के धर्म आधारित बंटवारे के समय अपने स्वार्थों को त्याग भारत को हीं अपना मादर ए वतन मानने वाले हमारे पूर्वज ही तो थे ! धर्मनिर्पेक्षता का ढ़ोंग रच मुल्क को लूटने वालों के सच्चर रिपोर्ट में खच्चर साबित हुआ मुसलमान ! 

हम कल भी भारतिय, आज भी भारतिया और कल भी भारतिया ही कहलवाना पसंद करेंगे और ज़रूरत पढ़ने पर अपनी जां भी निछावर कर देंगे अपने मादर ए वतन के लिये,  लेकिन यह तो बतलाईयेगा की यह सब आखिर कब तक चलेगा और यह सब रुकेगा कैसे ? रोकेगा कौन? बिना वोट की कीमत के सब कैसे संभव ? जिनको वोट दिया उन्होंने क्या किया ? 

हां यह सत्य हैं विचार बदल सकते हैं लेकिन यह स्वतंत्र लेखक कभी बिक नहीं सकता !

      “बहुत हुआ बंद करो यह सब …”

          “अब तो यह वैचारिक द्वंद हैं !”

          मो. तारिक (स्वतंत्र लेखक)


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