आर एम पी डॉक्टरों का मुख्यमंत्री पर आरोप, प्रदेश में आर एम पी डॉक्टर के लिए अलग-अलग नियम, एक जिले में पात्र तो दूसरे जिले में झोलाछाप | New India Times

इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:

आर एम पी डॉक्टरों का मुख्यमंत्री पर आरोप, प्रदेश में आर एम पी डॉक्टर के लिए अलग-अलग नियम, एक जिले में पात्र तो दूसरे जिले में झोलाछाप | New India Times

दमोह में अब आर एम पी डॉक्टरों ने भी अपनी आवाज़ बुलंद की है और सरकार के दोहरे रवैये से नाराज़ हैं. दरअसल प्रदेश में लगे लॉक डाउन के चलते जिले के समस्त आर एम डॉक्टरों की किलिनिक बीते एक माह से बंद पड़ी है अब इन पर भी रोजी रोटी का संकट गहराया हुआ है अब इन्होंने प्रदेश सरकार ने मांग की है कि हमे भी अपनी प्राइवेट किलिनिक खोलने की अनुमति दी जाए, इतना ही नही इन डॉक्टरों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप  भी लगाया है साथ ही झोलाछाप डॉक्टर के नाम से संबोधित करने पर भी आपत्ति दर्ज की है। ख़ास बात तो ये है कि आर एम पी डॉक्टरों पर वर्तमान में कई जगह प्रशासन द्वारा छापामार कार्यवाही की गई। जिसमें जो डॉक्टर डिग्री होल्डर थे उन्हें भी नहीं बख्शा गया, इससे नाराज डॉक्टरों ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए अपने वैद्यय होने का प्रमाण दिया कि जब हमें मध्यप्रदेश आयुर्वेद प्रमाण पत्र दे रही कि आप सब प्रेक्टिस कर सकते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद सरकार उन्हें अमान्य कर देती है।

आर एम पी डॉक्टरों का मुख्यमंत्री पर आरोप, प्रदेश में आर एम पी डॉक्टर के लिए अलग-अलग नियम, एक जिले में पात्र तो दूसरे जिले में झोलाछाप | New India Times

वहीं मध्यप्रदेश के राज्यपाल का लिखित पत्र है कि 3 .11. 89 तक सभी आर एम पी डॉक्टर वैध्य हैं । जबकि वर्तमान में 7.11.2020 को जब वोर्ड आग्रह किया तब वोर्ड ने दस्तावेज दिए जिसमें साफ साफ कहा गया की आज दिनाँक तक 33 हज़ार 53  लोग मध्यप्रदेश वोर्ड में रजिस्टर्ड पंजीबद्ध हैं। अब अगर ये सभी सरकार के रिकार्ड में रजिस्टर्ड हैं तो ये कैसे फर्जी, झोलाछाप कहकर किलिनिकों पर कार्यवाही कर सकती है। आए एम पी डॉक्टरों की कमेटी के सक्रिय सदस्य डॉ जी एस सोनी ने ये सारी बात कही, वे यहीं नहीं रुके आगे कहते हैं कि अब किलिनीकल रजिस्ट्रेशन की बात करें तो यहाँ मध्यप्रदेश के अधिकारी कहते हैं कि किलिनीकल रजिस्ट्रेशन नहीं करेंगे लेकिन मज़े की बात यहीं पन्ना जिले में 2016 से 2019 तक परमिशन दी। जिसके दस्तावेज साथ में रखे हुए है लेकिन शिवराज सरकार से  अब मध्यप्रदेश के आर एम पी डॉक्टर नाराज़ है उनके दोहरे रवैये से जबकि 04.09. 2018 में  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने निवास स्थान पर निजी चिकित्सा पंचायत सम्मेलन आयोजित किया था जिसमें  बीस हज़ार डॉक्टर जमा हुए थे जिसमें ये बात तय की गई थी कि जनसंबर्धन वोर्ड बनाकर सभी  चिकित्सकों की ट्रेनिंग कराई जाएगी  ताकि कोई भी  झोलाछाप डॉक्टरों के नाम से संबोधित ना करें।

आर एम पी डॉक्टरों का मुख्यमंत्री पर आरोप, प्रदेश में आर एम पी डॉक्टर के लिए अलग-अलग नियम, एक जिले में पात्र तो दूसरे जिले में झोलाछाप | New India Times

डॉक्टरों का ये भी मानना है कि हम सब मिलकर इस कोरोना काल में समाज के लोगों की सेवा कर सके और उचित सलाह दें। सीसी एच कम्युनिटी हेल्थ राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा संस्थान जो मानव विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है जिसकी सी सी एच की परीक्षा होती है जबकि ये सरकारी ही आदेश है लेकिन हमसे कहती हैं कि आप  प्रेक्टिस नहीं कर सकते ऐसे में आर एम पी डॉक्टरों ने भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को आगे चलकर बड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी जबकि खुद प्रदेश के मुखिया ने भरी सभा में ये बयान दिया था कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था काफी हद तक आप जैसे आर एम पी डॉक्टर्स ही संभाले हुए हैं जिसका वीडियो भी डॉक्टरों के पास आज भी सुरक्षित है। अभी प्रदेश सरकार का पहले से ही स्वास्थ्य ठीक नहीं ऐसे में अगर ये आर एम पी डॉक्टर नाराज़ हो गए तो मामा शिवराजसिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। 


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading