वी. के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:
भारत-नेपाल सीमा को जोड़ने वाले बेलरायां पनवारी मार्ग पर पचपेंड़ी घाट पुल बनने के लिए कई बार सर्वे हुआ और चुनाव के दौरान उम्मीदवारों और जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था जो केवल अस्वासन बनकर रह गया। शारदा नदी पर बना लोहे का पुल पानी के तेज धार में बह गया. बता दें कि अचानक हुई बारिश के बाद पहाड़ियों से पानी नदी में छोड़ा गया था। नदी में पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण कछुए का पुल बह गया।विकासखंड फूलबेहड़ क्षेत्र के अंतर्गत शारदा नदी में पैंटून पुल बनाया गया था जिससे लोगों को निकलने के लिए कम दूरी तय करनी पड़ती थी लेकिन पहाड़ों पर हुई बारिश के कारण शारदा नदी का जलस्तर बहुत तेजी से बढ़ने लगा, तेज बहाव के कारण कछुए का बना पुल शारदा नदी में समा गया। बता दें कि इस पुल से लोगों को धौराहरा जाने के लिए आसानी हो जाती थी और उनको कम दूरी तय करनी पड़ती थी, इस पुल के बह जाने से जहां लोग अब अधिक दूरी तय करेंगे वहीं लोगों का समय भी ज्यादा खराब होगा और अधिक धन का खर्च भी आएगा। पुल के बह जाने से सबसे अधिक नुकसान सर्वासेंटर, चकलुआ, बबुरी समेत तीन दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों को होगा और पलिया की भी दूरी बढ़ जाएगी। जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए पलिया वासियों को भी सुगमता मिलती थी उनको भीरा बिजुआ होते हुए जिला मुख्यालय जाने के लिए कम दूरी तय करनी पड़ती थी अब पचपेंड़ी घाट के पुल के बह जाने से सबको भारी कठिनाई आएगी। पुल बनवाने के लिए लोकसभा और विधायक होने के दौरान कई बार सवाल उठाया गया और पुल बनवाने की मांग की गई पर प्रदेश सरकार की कानों पर जूं नहीं रेंगी।
पुल बनने के बाद जाग जाती क्षेत्र की किस्मत
प्रदेश सरकार ने विश्व बैंक से पचपेड़ी घाट पुल तथा सड़कों के लिए पैसा मांगा था जिससे एक बार फिर पुल निर्माण की उम्मीद जाग गई थी। जुलाई और अगस्त माह में पैसा मिलने के कयास भी लगाए जा रहे थे। पुल बनने से निघासन के अलावा पलिया तहसील की भी किस्मत जाग जाती। सपा सरकार ने पुल बनने के लिए विश्व बैंक से तीन हजार करोड़ रुपये की मांग की थी। प्रदेश सरकार और विश्व बैंक के अधिकारियों के बीच दो बार वार्ता भी हो चुकी थी। विश्व बैंक और प्रदेश सरकार की टीमें सर्वे करने के लिए पचपेंडी घाट को भी आ चुकी थी।
पुल बनने से यह होता फायदा
पचपेंडी घाट पर पुल बनने से शारदा नदी के कटान से प्रभावित हो रही करोड़ों की वन संपदा, हजारों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि बाढ़ आने से बच जाती इसके अलावा जिला मुख्यालय सीधे नेपाल से जुड़ जाता दूरी कम होने से क्षेत्र वासियों का अधिक धन खर्च भी नहीं होता और समय की भी बचत होगी।
इन गांवों को सबसे अधिक मिलता फायदा
पुल बनने से सबसे अधिक फायदा सर्वासेंटर,चकलुआ, बबुरी समेत तीन दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों को लाभ मिलने लगता और पलिया की भी होगी दूरी कम हो जाती।जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए पलिया वासियों को भी सुगमता मिलती उनको भीरा बिजुआ होते हुए जिला मुख्यालय जाने के लिए कम दूरी तय करनी पड़ती।पचपेंड़ी घाट के पुल के लिए लोकसभा और विधायक होने के दौरान कई बार सवाल उठाया और पुल बनवाने की मांग की पर प्रदेश सरकार की कानों पर जूं नहीं रेंगी।
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