अबरार अहमद खान, स्टेट ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:
कोरोना महामारी के चलते मुस्लिम समाज के लोगों ने
सरकार के आदेश का पालन करते हुऐ अपने घरों में ही ईद की नमाज़ अदा की। नमाज़ के बाद लोगों ने अपने मुल्क से कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए रब से गिड़गिड़ा गिड़गिड़ा कर दुआ मांगी।
आप को बता दें कि मज़हब इस्लाम ने मुसलमानों के लिए दो ईद तय किया है, एक ईद उल फित्र और दूसरा ईद उल अज़हा जिसमें तमाम मुसलमान एक साथ इकट्ठा होते हैं, खुशियां मानते हैं, एक दूसरे से मुलाक़ात कर मुबारकबाद देते हैं लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते आज ईदुल फित्र में लोग इकट्ठे ना होकर फेसबुक व्हाट्सएप मैसेज, दूरभाष आदि पर लोगों ने अपने रिश्तेदारों, दोस्त व अहबाब को ईद उल फित्र की मुबारकबाद पेश की साथ ही साथ अल्लाह से अपने मुल्क को कोरोना से निजात दिलाने के लिए दुआ की भी दरखास्त की।
आज उन लोगों के लिए ईद का दिन है जिन लोगों ने रमज़ान के महीने में रोज़ा रखा तरावीह की नमाज़ के साथ साथ कुरआन मजीद की भी तिलावत की।और बड़े ही बदनसीब हैं वह लोग जिन्हों ने इस पवित्र महीने को पाकर उसकी क़द्र नहीं की। स्वस्थ्य होने के बावजूद रोज़ा नहीं रखा।
ईद सिर्फ नए कपड़े पहनने का नाम नहीं है बल्कि अल्लाह को राज़ी करने का नाम है।
आज के दिन हम तमाम लोगों को अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिये जिस की तौफ़ीक से हमने रोज़ा रखा, हमें आज के दिन दुआ करना चाहिए कि हम ने अब तक जो भी नेकी के काम किये हैं वह कबूल हो जायें।
आम तौर पर लोग रमजान के बाद अल्लाह की इबादत से दूर हो जाते हैं, जिस रब की इबादत हम ने रमज़ान में की है वही अन्य महीनों का भी रब है। नेकियों के बाद गुनाह करना फ़िर तौबा ना करना यह नेकियों को खत्म कर देता है। उसकी मिसाल ऐसे ही है जैसे कोई बड़ी मेहनत से धागा काते फ़िर अपने ही हाथों से उसे रेज़ा रेज़ा कर दे।
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