एमजीएसयू के अंग्रेजी विभाग में कोविड स्टोरीज ऑफ हेमांग राष्ट्र का हुआ लोकार्पण। सकारात्मक सृजनधर्मिता समाज के लिए लाभदायक: डाॅ0 महेश चन्द्र शर्मा | New India Times

भैरु सिंह राजपुरोहित, ब्यूरो चीफ, बीकानेर (राजस्थान), NIT:

एमजीएसयू के अंग्रेजी विभाग में कोविड स्टोरीज ऑफ हेमांग राष्ट्र का हुआ लोकार्पण। सकारात्मक सृजनधर्मिता समाज के लिए लाभदायक: डाॅ0 महेश चन्द्र शर्मा | New India Times

साहित्य समाज का दर्पण होता है किन्तु कुछ साहित्यकारों द्वारा इसे समाज की नकारात्मकता अभिव्यक्त करने का ही माध्यम बना लिया गया है, इन रचनाओं में दिखाया जाता है कि समाज में कुछ भी ठीक नहीं है, इससे समाज में विखराव की स्थिति पैदा हुई है। इस मायने में प्रस्तुत पुस्तक ’राइज कोविड स्टोरीज आंव हेमांग राष्ट्र’ एक सराहनीय सृजनधर्मी प्रयास है। लेखक ने कोरोना काल के दौरान उत्पन्न सकारात्मकता जिसने समाज को बांधे रखा है, को बखूबी प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। उपरोक्त विचार प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं सामाजिक कार्यकर्ता डाॅ. महेश चन्द्र शर्मा ने प्रो0 सुरेश कुमार अग्रवाल की पुस्तक राइज कोविड स्टोरीज आव हेमांग राष्ट्र के आन लाइन विमोचन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए व्यक्त किये।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पी.के. दशोरा ने कहा कि “स्वतं़त्र्यात्तोर भारत में लिखा गया अधिकांश साहित्य इस बात को भी अभिव्यक्त करता है कि मनुष्य अब एक श्रेष्ठ प्राणी नहीं रह गया – इस तरह के साहित्य में मानव द्वारा किये जा रहे अमानवीय कृत्यों का ही जिक्र होता है। इसी तरह का सहित्य विश्वस्तर पर पुरस्कारों से नवाजा भी जाता है। इस तरह के साहित्य के आधार पर आने वाली पीढ़ियाँ इस तरह की अवधरणा बना लेगी कि हमारे पूर्वज मूलतः अमानवीय प्रवृत्ति के थे। इस से भिन्न “राइज” नामक कहानी संग्रह कोरोनाकाल एवम् लाॅक डाउन को पृष्ठभूमि में रखकर मनुष्य के मनुष्य के रूप में कृत्तित्व की सशक्त अभिव्यक्ति है।

कार्यक्रम में बोलते हुए अंग्रेजी के आचार्य एवम् हिमाचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस. डी. शर्मा ने कहा कि पुस्तक कोरोना एवम् लाॅक डाउन के पश्चात् भारत के विश्वशक्ति के रूप में उदय की अभिव्यक्ति है। लेखक ने पुस्तक को तीन भागों में विभक्त कर प्रत्येक भारतीय के इस भारत उदय में योगदान की चर्चा की है। लेखक ने उस भारतीय चरित्र को व्यक्त किया है जो इसे संकट एवम् कठिनाई के समय में एक जुट रहने एवम् पारस्परिक सहयोग के लिये प्रेरित करता है।

इलाहबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के वरिष्ठ आचार्य प्रो. एस. के. शर्मा ने कहा कि पुस्तक का प्रत्येक पृष्ठ एक संदेश है, पुस्तक में सम्मिलित प्रत्येक कहानी तथ्यों पर आधारित कथा है और इस बात को सफलतापूर्वक अभिव्यक्त करती है कि भारतीय जीवन का मूल कत्र्तव्यपरायणता” इसे अन्य देशों से भिन्न एवम् विशिष्ट बना देता है। लेखक ने पुस्तक को “इंगलिश” में नहीं अपितु भारतीय परिवेश के अनुरूप “हिंगलिश” एवम् आंइगलिश” में लिखने का प्रयास किया है।

विशेष अतिथि पत्रकार दिनेश स्वामी ने कहा कि पुस्तक में सम्मिलित कहानियों की जीवंतता पाठक को इस बात के लिये विवश करती है कि वह इसे आखिरी पृष्ठ तक पढ़े। कहानियाँ कोरोना काल के दृश्यों को पाठक के समक्ष प्रभावी रूप में प्रस्तुत करने में सफल रही है। ’

पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए डूंगर महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ कृष्णा तोमर ने कहा कि पुस्तक अपने आप में एक किताब ना होकर कोविड काल का ग्रंथ है जो आने वाली पीढ़ियों को लाभान्वित करेगा।

एमजीएसयू के इतिहास विभाग की डॉ मेघना शर्मा ने पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए कहा इस पुस्तक में आर के नारायण के मालगुडी की तरह एक काल्पनिक नगर श्रीधर नगर की बात की गई है जिसके आसपास कहानियों के सभी चरित्र घूमते हैं और जो महामारी काल का बखूबी प्रतिनिधित्व करते हैं।

अंग्रेजी विभाग की डॉ प्रगति सोबती ने भी पुस्तक पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी.के. सिंह ने कहा “स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी पठन पाठक एवम् लेखन का उद्धेश्य भारतीयता का प्रचार-प्रसार होना चाहिये। पुस्तक “राइज” एक राष्ट्रीय संभाषण है। कहानियों के सभी पात्र राष्ट्रीयता से ओतप्रोत है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में संयोजक एवम् अंग्रेजी की वरिष्ठ सह आचार्य डाॅ. दिव्या जोशी ने कहा कि पुस्तक में सम्मिलित कहानियाँ पुस्तक के शीर्षक की सार्थकता को व्यक्त करती है। उन्होंने पुस्तक संश्लेषण प्रस्तुत करते हुए बताया कि पुस्तक में सम्मिलित कहानियाँ संवेदनशीलता को मूत्र्त रूप प्रदान करती है। उन्होंने पुस्तक से उन कथानकों को उद्ध्रत किया जो पाठक को अपनी ओर आकर्षित करती है। कार्यक्रम की शुरूआत पुस्तक के लेखक प्रो. एस.के. अग्रवाल द्वारा पुस्तक परिचय से हुई। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में कार्यरत सहायक आचार्य श्रीमति संतोष कँवर शेखावत ने किया।


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