मीरा-भाईंदर मनपा के 5 मनोनीत नगरसेवकों के नियुक्ति के विरोध में मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल, 9 दिसंबर को होगी सुनवाई | New India Times

साबिर खान, मुंबई (महाराष्ट्र), NIT:

मीरा-भाईंदर मनपा के 5 मनोनीत नगरसेवकों के नियुक्ति के विरोध में मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल, 9 दिसंबर को होगी सुनवाई | New India Times

मीरा भाईंदर महानगरपालिका में साढ़े तीन साल बाद अवैध व ग़ैरक़ानूनी तरीके से होने जा रही मनोनीत नगरसेवक के नियुक्ति पर रोक लगाकर दोबारा प्रक्रिया कराने के लिए मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई है।जिसकी सुनवाई बुधवार 9 दिसंबर को होने वाली है। मिरा भाईंदर के निवासी समाजसेवी श्री नितेश मुणगेकर ने मुंबई हाईकोर्ट के वकील एडवोकेट पी एस गोले द्वार हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिसे हाईकोर्ट ने स्विकार कर लिया है और 9 दिसंबर को इसकी सुनवाई जस्टिस श्री काथावाला व श्री छागला के सामने होगी।याचिकाकर्ता के एडवोकेट के मुताबिक़ मिरा भाईंदर महाराष्ट्र मनपा अधिनियम 1949 व मनोनीत सदस्य की नियुक्ति नियम 2012 की धारा 4 में साफ़ तौर पर कहा गया है कि मनपा में समाज के प्रतिष्ठित विशेष ज्ञान रखने वाले व जो पिछले पाँच साल से मनपा क्षेत्र में कार्यरत है ऐसे एडवोकेट, प्रोफ़ेसर, सीए, उपायुक्त, अधिकार व एनजीओ के पदाधिकारियों को मनोनीत नगरसेवक बनाना चाहिए लेकिन मिरा भाईंदर मनपा आयुक्त ने एनजीओ की चैरिटी कमिश्नर से जॉंच कराये बगैर ही 6 उम्मीदवार का फ़ॉर्म राजनीतिक दबाव में आकर मंजुर किया है जो पूरी तरह ग़ैरक़ानूनी व अवैध है। बताया जाता है कि इन उम्मीदवारों में एक तो ठेकेदार है तो कई पर भ्रष्टाचार व पार्टी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने व काम करने का आरोप है। सुत्रों ने बताया कि मनपा आयुक्त ने मनोनीत नगरसेवक बनाये जाने की सुचना जानबूझकर राजनीतिक दबाव में आकर किसी भी बड़े हिंदी, मराठी, इंग्लिश आदि लोकप्रिय दैनिक अख़बारों में नहीं देकर केवल एक ही अनजाने परशुराम समाचार नामक पेपर में देने की वजह से पूरी प्रक्रिया शक के दायरे में आ गई है जिससे आम नागरिकों को मनोनीत नगरसेवक की नियुक्ती प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी और जो हकदार हैं वे जानकारी के अभाव में प्रक्रिया से वंचित रह गये। बताया जाता है कि मनोनीत नगरसेवक में ग़ैरराजनीतिक व समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को ही जाना चाहिए लेकिन मनपा आयुक्त ने किसी भी उम्मीदवार की उचित जॉंच नहीं की है जिसके वजह से गलत व्यक्तियों को राजनीतिक दबाव के चलते मौका मिलेगा और जो हकदार हैं वो इससे वंचित रह जायेंगे। ग़ौरतलब है कि मिरा भाईंदर मनपा में भाजपा की सत्ता है जिसका नेतृत्व पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता कर रहे हैं और उन्होंने मनपा व अपने विधायक चुनाव के समय चुनाव के समय कई भाजपा व अन्य व्यक्तियों व कार्यकर्ताओं को मनोनीत नगरसेवक बनाने का वादा किया था लेकिन उन्होंने पुराने कार्यकर्ताओं को छोड़कर नये आये व्यक्तियों का मनोनीत सदस्य के लिए फार्म भर दिया जिससे पार्टी के नगरसेवकों समेत कई कार्यकर्ताओं में भारी नाराज़गी दिखाई दे रही है और मेहता की इसी मनमानी के विरोध में भाजपा नगरसेवक दो गुटों में बंट गई है जिसकी शिकायत भी भाजपा वरिष्ठ नेताओं व प्रदेश अध्यक्ष तक पहुंच चुकी है लेकिन उन्होंने भी मेहता को ही नेता बनाने का निर्णय लिया है ऐसी जानकारी सुत्रों ने दी है। मनोनीत नगरसेवकों के चयन के विरोध में पूर्व विधायक मेहता के मनमानी से तंग आकर भाजपा छोड़ शिवसेना में शामिल हुई अपक्ष विधायक गीता जैन, पुर्व नगरसेवक रोहित सुवर्णा, उपमहापौर हसमुख गहलोत, नगरसेवक प्रशांत दलवी, प्रहार सामाजिक संघटना के अलावा कई अन्य लोगों ने मनपा आयुक्त को चयन प्रक्रिया में धांधली व गलत व्यक्तियों के अर्जी को रद्द करते हुए फिर से नये तरीके से चयन प्रक्रिया करने के लिए शिकायतें भी की थी लेकिन आयुक्त ने किसी की भी नहीं सुनी। इन शिकायतकर्ताओं का कहना था कि मनोनीत सदस्य के उम्मीदवार मनपा कानुन के मुताबिक़ पात्र नहीं हैं और राजनीतिक दबाव में आकर मनपा आयुक्त ने उनको ग़ैरक़ानूनी ढंग से उनके फ़ॉर्म स्विकृत किये हैं। बताया जाता है कि बीजेपी की ओर से सोहनसिंग राजपूत,अनिल भोसले,अजित पाटिल, भगवती शर्मा व शिवसेना ने विक्रम प्रताप व कॉंग्रेस एस ए खान आदि सिर्फ़ 6 उम्मीदवारों ने फ़ॉर्म भरा है। याचिकाकर्ता के वकिल ने हाईकोर्ट से मॉंग करते हुए कहा है कि मनोनीत नगरसेवक की पुरी प्रक्रिया रद्द करते हुए फिर से दोबारा प्रक्रिया करते हुए बड़े अख़बारों में उसकी जानकारी आम जनता को दे ताकि सही और हक़दार प्रतिष्ठित ग़ैरराजनीतिक व्यक्ति मनपा कानुन के मुताबिक़ मनपा सदन में जाकर मनपा को फायदा पहुंचा सके और जनहित में काम कर सकें।


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