सलमान चिश्ती, रायबरेली ( यूपी ), NIT; रायबरेली जिला के खीरों विकास खण्ड अन्तर्गत बसिगवा मजरे चांदेमऊ निवासिनी गर्भवती महिला कमला पत्नी श्रीराम की बीती रात अचानक पेट में दर्द होने लगा, दर्द बढ़ता देखते हुये परिजनों ने आशा बहू रामेश्वरी को फोन किया तो रामेश्वरी गांव में मौजूद नहीं थी किन्तु एनम शिव कुमारी गाँव मे मौजूद थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एनम ने अपने सेंटर पर गर्भवती महिला को बुलाया। रात भर दर्द से तड़पती रही महिला और सुबह लगभग सात बजे प्रसव हुआ किन्तु थोड़ी देर बाद शिशु की मौत हो गयी। प्रसव पीड़ित महिला का जब ब्लड नहीं बंद हुआ तब महिला की हालत गम्भीर देखते हुये परिजन उसे खीरों सीएचसी ले गये। लोगों का आरोप है कि अगर डिलिवरी साधारण नहीं थी तो क्यों एनम ने अपने सेंटर पर प्रसव कराया? आज यह सवाल सभी ग्रामीण उठा रहे हैं। अगर एनम व आशा बहू अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाहन सुचारु रूप से करती तो उस मां की गोद सूनी न होती। भले ही सरकार ने जच्चा-बच्चा के लिए कई योजनाये ग्रामीण क्षेत्र में दे रखी हो लेकिन वह योजनाए धरातल पर सुचारु रूप से नहीं कार्य कर रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार भले ही जच्चा-बच्चा के लिए 108 एंबुलेंस दे रखी हो लेकिन एनम व आशा बहू ने एंबुलेंस सुविधा लेना उचित नहीं समझा। जिसके कारण एक माँ की गोद सूनी हो गयी। अगर समय रहते गर्भवती महिला को सीएचसी खीरों पहुंचा दिया जाता तो शायद नवजात शिशु की जान बच जाती।
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