अस्पतालों का हाल खराब, कैसे होगा बेड़ापार, सफाई पर जरा सा भी नहीं है ध्यान, जिम्मेदार साधे मौन, कोरोना काल में इस तरह की लापरवाही से कैसे होगा कल्याण??? | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

अस्पतालों का हाल खराब, कैसे होगा बेड़ापार, सफाई पर जरा सा भी नहीं है ध्यान, जिम्मेदार साधे मौन, कोरोना काल में इस तरह की लापरवाही से कैसे होगा कल्याण??? | New India Times

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र निघासन की दशा भगवान भरोसे है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का हाल देखकर आप के पास शब्द नहीं होंगे कि कहें तो क्या कहें। आप अस्पताल आ जाइए चंद मिनटों में आपको सब कुछ दिखाई पड़ जायेगा क्योंकि सुध लेने वाला कोई है ही नहीं। जिस कदर आज के दौर में देश और दुनिया में कोरोना वायरस का प्रकोप इस कदर है कि बड़े बड़े देशों ने हाथ पसार दिए हैं आये दिन लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या से कुछ भी बोल पाना मुश्किल है। सरकार साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं और अपनी ड्यूटी के प्रति सक्रिय रहने के भी निर्देश दिए हैं।लेकिन निघासन स्वास्थ्य महकमे में सब कुछ फेल होता हुआ नजर आ रहा है।जिम्मेदार लोगों के पास ध्यान देने के लिए समय नहीं है अस्पताल के बाहर हो या अंदर हो गंदगी आपको देखने को मिल ही जायेगी।समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था भगवान भरोसे है यहां नल तो लगा है चल भी रहा लेकिन ऐसी जगह पर लगा हुआ है।जहां कूड़े कचरों का जमावड़ा है।इस तरह सरकार के सारे प्रयासों पर निघासन स्वास्थ्य महकमा पानी फेर रहा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र निघासन आइयेगा तो पानी घर से लाइयेगा।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की दयनीय दशा इस कदर है कि अगर मरीज को प्यास लगी है तो मरीज के सदस्य को पहले 5-10 मिनट उसे इधर उधर भटकना पड़ता है।उसके बाद यह तो वह अस्पताल के बाहर से पानी लाये या फिर 20 रूपए की बोतल खरीदे क्योंकि अस्पताल परिसर में जो हेडपंप टंकी लगीं हुई हैं।वो शोपीस बनी हुई हैं। हेडपंप लगा है लेकिन उसका पानी पीने का आपका मन ही नहीं करेगा क्योंकि गंदगी का अंबार लगा हुआ है।टंकियां तो लगी हुई हैं लेकिन उन्हें पानी आने का इंतजार करना पड़ रहा है। क्योंकि पिछले कई महिनों से टंकियां वाटर टैंक शोपीस बनकर रह गए हैं।

जगह जगह लगे हैं कूड़े के ढेर,सफाई के नाम पर नकाम निघासन स्वास्थ्य विभाग।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र निघासन में आने पर सबसे पहले आपको लगे कूडे़दान कूड़े के ढेरों से ही मुलाकात होगी।अस्पताल तो ऐसे हैं जहा आप जाइयेगा तो गंदगी का नामोनिशान नहीं होता है।अगर होता भी है तो इस कदर नहीं कि आप जिस जगह पर अपनी नज़र दौड़ायेंगे गंदी का अंबार लगा हुआ मिलेगा।लगता है कई दिनों से साफ सफाई हुई ही नहीं है।अस्पताल के बाहर लगे कूडे़दान भर जानें के बाद भी एक एक दो दो दिनों तक रखें रहते हैं क्योंकि उनका मूहूर्त नहीं बनता है।जिम्मेदार अधिकारी अस्पताल परिसर में बनें रहते हैं लेकिन सफाई पर ध्यान देना उचित नहीं समझा जाता है।कहीं यही गंदगी लोगों के लिए मुसीबत न बन जाए।अगर कोई जानकारी लेनी हो तो नहीं उठता सीएचसी अधीक्षक डॉ. लाल जी पासी का फोन कोरोना काल में जहां मीडियाकर्मी जान जोखिम में डालकर एक एक खबर दिखाने की कोशिश करतें हैं कोई भी खबर हो उसकी पुष्टि करनें के बाद प्रसारित की जाती है जिससे स्पष्ट हो जाये कि खबर कहीं फर्जी तो नहीं है।लेकिन निघासन सीएचसी प्रभारी से जब आप बात करना चाहेंगे तो एक दो बार में फोन उठेगा ही नहीं अगर उठ भी जायेगा तो बिना बात किये ही कट भी जायेगा।रात्रि काल का हाल तो राम भरोसे, सीएचसी निघासन को यदि रात्रि में चले जाये तो सब कुछ अलग ही मिलेगा।रात में वार्डो में लाइट जाने के बाद सीएचसी का जनरेटन केवल कागजों में चलता है वार्डो में अंधेरा पड़ा रहता है इस भीषण गर्मी में जच्चा व नन्हें नौनिहाल पड़े रहते है।प्रसव के लिये आने वाली महिलाएं नीचे फर्श पर पड़ी रहती है इतना ही नहीं प्राइवेट अस्पतालों के दलाल सीएचसी में डेरा जमाए रहते जो आशाओं के माध्यम से अपने अस्पतालों में ले जाने हेतु कमीशन का खेल खेलते हैं।


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By nit

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