SPDM कॉलेज शिरपुर, महाराष्ट्र के उर्दू विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस का हुआ सफल आयोजन | New India Times

मेहलक़ा अंसारी, शिरपुर/धुले (महाराष्ट्र), NIT:

SPDM कॉलेज शिरपुर, महाराष्ट्र के उर्दू विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस का हुआ सफल आयोजन | New India Times

कवयित्री बेना बाई चौधरी नॉर्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी (NMU) जलगांव महाराष्ट्र के अंतर्गत, किसान प्रसारक संस्था शिरपुर द्वारा संचालित SPDM कॉलेज के उर्दू विभाग द्वारा महाविद्यालय में एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस उर्दू ग़ज़ल का तहज़ीबी व फ़िक्री रिवायत का सफर का आयोजन हुआ। कॉन्फ्रेंस के कन्वीनर एवं उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ साजिद अली क़ादरी ने कॉन्फ्रेंस के आयोजन व उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश ही नहीं बल्कि विश्व भर में कोरोना महामारी फैली हुई है। हर तरफ लॉकडाउन है। ऐसे समय, समय का सदुपयोग करते हुये हम ने इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। देश ही नहीं बल्कि विश्व में इस प्रकार ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस आयोजित करना एक नवाचार है, जिसे सफलता पर्वक संपन्न किया गया। इस कॉन्फ्रेंस में भारत सहित विश्व भर से 1088 उर्दू स्कॉलर्स ने अपनी उपस्थिति पंजीयन के रूप में दर्ज कराई। विश्व के 15 देशों कैनेडा, मिस्र, यू के, ईरान, जर्मनी, इटली, इजिप्ट, सूडान, मोरिशस, डेनमार्क, ताशकंद आदि के शोधकर्ताओं ने इस आनलाइन कॉन्फ्रेंस में भाग लिया, वहीँ देश के लगभग हर प्रदेश के शोधकर्ताओं की उपस्थिति रही। कॉन्फ्रेंस का सीधा प्रसारण zoom ऐप एवं Youtube पर हुआ।
शुभारंभ कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष डॉ. तुषार रांधे, नॉर्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी (NMU) के कुलपति प्रोफेसर पी पी पाटिल, वाईस चांसलर प्रोफेसर मुहलिकर, संस्था के सदस्य श्रीमती आशा ताई रांधे, विशाल रांधे व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एस एन पटेल विशेष रूप से उपस्थित थे।

SPDM कॉलेज शिरपुर, महाराष्ट्र के उर्दू विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस का हुआ सफल आयोजन | New India Times

कॉन्फ्रेंस में Keynote मुख्य भाषण जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध उर्दू प्रोफेसर डॉ ख्वाजा इकरामुद्दीन व विशेष वक्तव्य कैनेडा के उर्दू विद्वान डॉ तकी आबिदी ने दिया। उन्हों ने उर्दू ग़ज़ल के विकास पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। डॉ ख्वाजा इकरामुद्दीन ने अपने वक्तव्य में दकन के कई ऐसे कवियों का उल्लेख किया जिन से साहित्य जगत अनजान था। डॉ तकी आबिदी ने बताया कि विश्व भर की भाषाओं में केवल उर्दू और पर्शियन में ही ग़ज़ल पढ़ी जारही है। दोनों ही विद्वानो ने ग़ज़ल पर शानदार और नई बाते बताई। जिस की हर किसी ने सराहना की। इन के अलावा डॉ,बसंत शूकरी इजिप्ट, डॉ.नासिर मलिक डेनमार्क, डॉ. माहिया अब्दुल ताशकंद, डॉ.फ़रज़ाना लुतफि ईरान, डॉ.माया हैदर व फौज़िया मुग़ल जर्मनी, डॉ आरिफ कसाना सूडान, डॉ. शीराज़ अली UK, डॉ. नाज़िया ज़फफो खान मोरिशस, डॉ. अफ्ताफ़ बनारस, डॉ, सगीर अफरहिम अलीगढ़, डॉ सलीम महिउद्दीन परभणी, डॉ अतीक कुरेशी हिंगोली, डॉ एस एम शकील बुरहानपुर, डॉ . समीना गुल कश्मीर, डॉ. मजीद बेदार हैदराबाद, डॉ असलम जमशेदपुरी मेरठ, डॉ बाक़र हुसेन टोंक, मोहम्मद वकील कोलकाता, डॉ हुसेन रांची, साजिद नदवी चेन्नई, डॉ मुस्तफा दरभंगा के अलावा कुल 85 शोधकर्ताओं ने अलग अलग विषयों पर अपने अपने शोध पत्र का वाचन लाइव किया।
इस कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में सोलंकी सर सहित कॉलेज के समस्त स्टाफ का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। राष्ट्र गीत से कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ व अंत हुआ।
अंत में सभी अतिथियों एवं शोधकर्ताओं, विद्वानों का कांफ्रेंस कन्वीनर डॉ सजिद अली क़ादरी ने आभार व्यक्त किया।


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