सुफियान सिद्दीकी, भोपाल (मप्र), NIT:
इस वक्त पूरा देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है, देश लॉकडाउन के दौर से गुज़र रहा है, सड़कें ज़रूर सुनसान हैं मगर प्रशासन के आदेश के आगे अतिआवश्यक सेवा दे रहे वाहनों के पहिये भी रुक गए। दरअसल ज़िला प्रशासन ने आदेश दिए थे कि जो भी व्यक्ति लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए दिखा तो उसके वाहन को जब्त कर लिया जाएगा।
जब इस आदेश का पालन कराने में पुलिस प्रशासन जुटा तो एक सुप्रसिद्ध कहावत भी सच हो गयी। यहां गेहूँ के साथ घुन भी पिस गया। जी हां यहां जब लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर जब गाज गिरी तभी इस लॉकडाउन में आवश्यक और अतिआवश्यक सेवाएं दे रहे लोगों की गाड़ियां भी ज़ब्त हो गयीं। जब उन गाड़ियों को छुड़ाने की बात हुई तो कहा गया कि यह गाड़ियां कोर्ट से छूटेंगी। मगर कोर्ट में अधिवक्ताओं को सीमित संख्या में प्रवेश दिया जा रहा है।
इसी को लेकर भोपाल के युवा अधिवक्ताओं के समूह ने लॉकडाउन के दौरान ज़ब्त किए गए वाहनों को छुड़ाने के संबंध में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की है। इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता अधिवक्ता धीरज सिंह डागा का कहना है कि भोपाल 40 km में फैला हुआ है ऐसे में किसी किसान को फ़सल के लिए कहीं जाना हो तो कैसे जाए, वहीं दूसरी अन्य आवश्यक और अतिआवश्यक सेवाएं दे रहे लोगों की गाड़ी को जब्त करना कहाँ का औचित्य है।
इस याचिका में याचिकाकर्ता अधिवक्ता धीरज सिंह डागा ने जल्द सुनवाई की मांग भी की है। याचिकाकर्ता की मानें तो इसमें कई किसानों, डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी और मीडिया बंधुओं की गाड़ियां शामिल हैं।
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