पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं तथाकथित पत्रकार | New India Times

पीयूष मिश्रा, सिवनी ( मप्र ), NIT; ​​
पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं तथाकथित पत्रकार | New India Timesसमाज के समाजीकरण तथा समय समय पर समाज के सन्दर्भ में सजग रहकर नागरिकों तथा शासनकर्ता व बुद्धिजीवी वर्गो में दायित्व बोध करने की कला को पत्रकारिता की संज्ञा दी गयी है। समाजहित, राष्ट्रहित में सम्यक प्रकाशन को पत्रकारिता कहा जाता है। असत्य अशिव असुन्दर पर सत्यम शिवम् सुन्दरम की शंख ध्वनि ही पत्रकारिता है।

 मनुष्य स्वाभाव के हीन व्यक्तियों को उत्तेजना देकर, हिंसा द्वेश फैलाकर, बडों की निंदाकर, लोगों की घरेलू बातों पर कुत्सित टीका टिप्पणी कर, अमोद प्रमोद का अभाव, अश्लीलता से पूर्ण करने की चेेष्टा कर तथा ऐसे ही अन्य उपायों से समाचार पत्रों की बिक्री और चैनलों का क्रेज तो बढाया जा सकता है। महामूर्ख धनी की प्रसशा की पुल बांध कर तथा स्वार्थ विशेष के लोगो के हित चिंतक बनकर भी रूपया कमाया जा सकता है।

 देश भक्त बनकर भी स्वार्थ सिद्धि की जा सकती है। लेेकिन सब कुछ अगर पत्रकारिता के आड मे हो तो कितना शर्मनाक है। सिवनी क्षेत्र में कुकुरमुत्तों की तरह फैले तथाकथित, पत्रकार, पत्रकार शब्द के गौरव को नष्ट करने के लगे हुये है। क्षेत्र मे दर्जनों ऐसी गाडियाँ है जिनमें प्रेस अथवा पत्रकार लिखा हुआ है। वास्तविकता यह है। कि ऐसे लोग न किसी समाचार पत्र से जुडे हुये है। और न ही व पत्रकार है न उनका अकबार क्षेत्र में आता हैै। दलाली में जुटे तथाकथित पत्रकारों ने कर्मठ और निष्ठावान पत्रकारों को बदनाम करने की ठान ली है। कहीं लकडी कटान से अवैध वसूली तो कही लोगों को गुमराह कर दलाली से क्षेत्र के लोग देखकर हैरान है।​पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं तथाकथित पत्रकार | New India Timesकुछ तथाकतिथ ऐसे भी पत्रकार पनप चुके हैं जो कि अपने लच्छेदार बातों से हाईफाई बताकर किसी का शस्त्र लाइसेंस बनवाने, जमीन का पट्टा करवाने, ठेका दिलाने, स्थानान्तरण करवाने अथवा रूकवाने आदि बहुत से कार्य करवाने आदि का ठेका लेकर अच्छी खासी दलाली चमका रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि  इनके बिछाये हुये जाल में वही फंसते हैं जो अपने को सबसे बड़ा सयाना समझते हैं। इन सयानों को यही तथाकथित पत्रकार चपटे की तरह खून चूस कर छोड देते हैं। जबकि इनकी असलियत की जांच की जाये तो यह तथाकथित पत्रकार लिखने में जीरो और तालमेल मिलाने में हीरो हैं। क्षेत्र में तो कुुछ ऐसे पत्रकार पनप चुके हैं जो पत्रकारिता की आण में गाडियां चलवाते हैं।​​पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं तथाकथित पत्रकार | New India Timesपत्रकारिता का रौब दिखाकर पंचायत सेक्रेट्रियों से विज्ञापन के नाम पर वसूली करते हैं। जब कि देखा जाए तो इन्हीं तथाकथित पत्रकारों की यह घिनौनी करतूत असली पत्रकारों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। जब कभी पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग अभियान चलाया जाता है तो प्रेस व पत्रकार लिखा होने का फायदा उठाकर यह तथाकथित पत्रकार बच जाते है, क्योंकि यह तथाकथित पत्रकार इतने शातिर हैं कि  इनकी लच्छेदार भाषा शैली तथा मिल बांट कर खाने वाली प्रणाली के चलते इनकी पुलिस विभाग से लेकर सभी महत्वपूर्ण विभागों तक पहुंच होती है। जबकी न तो इनके पास लाइसेन्स रहता है और न ही जिस गाड़ी से चलते हैं उसका बीमा।

 कई बार इन तथाकथित पत्रकारों पर नकेल कसने के लिए पुलिस अधिक्षक द्वारा पहल की बात कही गई। लेकिन फिल्हाल अभीतक अमल में नहीं आया है। इन फर्जी पत्रकारों तथा पत्रकारिता की आड़ में कर रहे दलाली वाले तथाकथित पत्रकारों की वजह से अपने पेसे को मिशन मान कर जुटे पत्रकारों की कलम भी कलंकित हो रही है।


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