अंकित तिवारी, लखनऊ (यूपी), NIT:
रिहाई मंच ने लखनऊ घंटाघर पर सीएए, एनपीआर व एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली फरीदा और शमसुन्निसा की बारिश में भीग जाने के कारण हुई मौत के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शोएब, इलाहाबाद हाइकोर्ट के अधिवक्ता संतोष सिंह ने फरीदा और शमसुन्निसा के परिजनों से मुलाकात की।
रिहाई मंच नेता शाहरुख अहमद ने कहा कि लखनऊ घंटाघर पर महिला प्रदर्शनकारियों को अगर उत्तर प्रदेश पुलिस ने टेंट लगाने दिया होता तो शायद बारिश में भीग जाने से ये मौतें न होतीं। इससे पहले एक बच्ची की भी लखनऊ घंटाघर पर बारिश में भीग जाने से मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पुलिस घंटाघर की प्रदर्शनकारी महिलाओं को लगातार मानसिक रूप से टार्चर कर रही है, कभी उनके कंबल छीने लेती है तो कभी खाना और पानी। इतना ही नहीं पुलिस हर दिन वहां मौजूद पुरुषों की गिरफ्तारी कर महिलाओं को असुरक्षित होने का आभास कराती रहती है। यह गिरफ्तारियां आमतौर पर पुलिस आधी रात के बाद करती है जब पूरे शहर में सन्नाटा होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब प्रदेश सरकार के इशारे पर किया जा रहा है।
उन्होंने ने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज कई बार टिप्पणी कर चुके हैं कि किसी भी भारतीय नागरिक को शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन करने और किसी भी विषय पर अपनी असहमति दर्ज कराने का अधिकार है लेकिन प्रदेश की सरकार विरोध प्रदर्शन करने के संवैधानिक अधिकार का लगातार दमन कर रही है।
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