वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर-खीरी (यूपी), NIT:
प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच को पूर्ण रूप से बन्द करने के लिये शौचालय निर्माण के लिये पिछले कई वर्षों से युद्ध स्तर पर अभियान चलाकर गांव-गांव, घर-घर शौचालयों का निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना इन बीते वर्षो में धरातल पर सकारात्मक रूप नहीं ले पा रही। 107 ग्राम पंचायतों वाले इस ब्लाक के 60 प्रतिशत गांव ओडीएफ नहीं हो पाये हैं। इस ब्लाक की मुस्लिम बाहुल आबादी वाले गांव जो पहले से ही नब्बे प्रतिशत ओडीएफ थे ग्राम मियांपुर ऐसी इस ब्लाक की ग्रामसभा है जो पूरी तरह ग्रामवासियों की सोच के कारण ओडीएफ घोषित हो गए, परन्तु धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है। जिस प्रकार तमाम विकास योजनाएं भ्रष्टाचार की भेट चढ़ी हुई है उसी प्रकार ‘‘गांव-गांव, घर-घर’’ शौचालय की योजना को भी भ्रष्टाचार के ऐसे पंख लगे कि उसने इस महत्वाकांक्षी योजना की हवा ही निकाल दी।
ब्लाक क्षेत्र की 107 ग्रामसभाओं में आवास, शौचालय, वृद्धा एवं विधवा पेंशन, राशनकार्ड आदि के लिये पात्रों के चयन के लिये गांव में खुली बैठक आयोजित किये जाने का नियम है लेकिन अधिकांश ये गांव की खुली बैठके प्रधान जी घर या ब्लाक कार्यालय पर बैठकर रजिस्ट्ररों में सम्पन्न हो जाती हैं और गांव वालों को पता नहीं लगता। इन खुली बैठकों में मनमाने तरीके से लाभार्थियों का चयन कर लिया जाता है। अभिलेखों में ओडीएफ घोषित हो चुके ब्लाक क्षेत्र के गांव में जाकर देखा जाये तो यहां की तस्वीर ही दूसरी है। गांवों में शौचालयों का निर्माण आवासों की भाति प्रधान जी के द्वारा स्वयं कराया गया। इस छोटे से निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का ऐसा रोग लगा कि गत वर्ष बने शौचालय जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गये, कहीं कहीं वर्षों से ही अधूरे र्निमित पड़े है तो कहीं शौचालय में कन्डे लकड़िया भरी हैं, कहीं दरवाजे नहीं तो कहीं टैंक नष्ट हो गए। 80 प्रतिशत शौचालयों की यही स्थिति है और ग्रामीण महिलाओं के खुले में शौच जाने पर बलात्कार, बलात्कार के प्रयास तथा छेड़-छाड़ की घटनाए घटित हुईं जिसका सबूत कोतवाली में दर्ज मुकदमे तथा शिकायते हैं। अगर गांव ओडीएफ है तो ये घटनाए क्यों घटित हो रही हैं। भ्रष्टाचार की भेट चढ़ी इस योजना में शौचालय निर्माण में मानको की जमकर धज्जिया उड़ाई गयी। एक-छ या आठ की जगह एक-सोलह अनुपात में मसाले का प्रयोग किया गया। जिसके कारण न दरवाजे उनमें रूक पा रहे हैं और न दीवारें व टैंक खड़े रह पना रहे हैं।
जिम्मेदार अधिकारी कार्यालय छोड़कर स्थलीय जायजा लेने की जहमत नहीं करते बल्कि आफिस में बैठे-बैठे ही स्थलीय जांच हो जाती और कागजों का पेट भर दिया जाता है। तमाम विकास योजनाओं कि भाति प्रधानमंत्री की ये अति महत्वाकांक्षी योजना भी भ्रष्टाचार एवं लूट-खसोट की भेट चढ़ जाने से ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं और सरकार की नज़रो में ‘‘ब्लाक मोहम्मदी’’ ओडीएफ हो गया।
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