राकेश यादव, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
नौरादेही अभ्यारण के वन परिक्षेत्र नौरादेही के ग्राम जोगीपुरा में विगत रविवार शाम जंगल से काटी गई लकड़ी जब्त करने गये वनरक्षक की 4 व्यक्तियों द्वारा लाठी एवं कुल्हाड़ी से मारपीट की गई जिससे उसके सिर एवं पीठ में चोटे आई हैं। इस मामले में देवरी थाना पुलिस द्वारा 4 आरोपियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है। विगत वर्षो में अभ्यारण के जमीनी अमले पर हमलें के कई मामले सामने आये हैं जिनमें स्थानीय अधिकारियों की घोर लापरवाही उजागर हुई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नौरादेही वन परिक्षेत्र अंतर्गत खमरा पठार बीट में पदस्थ वन रक्षक घनश्याम तिवारी ने देवरी थाने में दर्ज कराई गई रिर्पोट में बताया कि विगत दिवस उसे ग्राम जोगीपुरा के समीप सतकठा पेड़ काटे
जाने की सूचना प्राप्त हुई थी जिसकी लकड़ी जब्त करने के लिए वह अपने साथी वनरक्षक राजेन्द्र राय के साथ रविवार सायं 4 बजे जोगीपुरा निवासी दलसिंह आदिवासी के खेत पर लकड़ी जप्त करने गया था जो उसके खेत की बागड़ में रखी थी। उसी दौरान वहाँ पहुँचे महेश आदिवासी, दलसिंह आदिवासी, छुट्टन आदिवासी एवं टेकसींग आदिवासी सभी निवासी जोगीपुरा ने एक राय होकर लाठी एवं कुल्हाड़ी से हमला कर दिया एवं कुल्हाड़ी की मुदानी से उसके सिर एवं पीठ में चोट पहुँचाई जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। सूचना के बाद पहुँचे वन अधिकारियों द्वारा रात्रि 8 बजे घायल आरक्षक को देवरी
सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र में भर्ती कराया गया। पीड़ित की रिर्पोट पर देवरी थाने में आरोपियों के विरूद्ध
धारा 353 332, 186, 323, 506, 294 एवं 34 भादवि के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। पीडि़त को
सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र में उपचार के बाद जिला चिकित्सालय रिफर किया गया है। पुलिस द्वारा मामले के आरोपियों की तलाश आरंभ की गई है।
साहब निर्माण में व्यस्त, जमीनी अमला निशाने पर
नौरादेही अभ्यारण में जमीनी अमले पर हमले की यह पहली वारदात नहीं है इसके पूर्व भी नौरादेही रेंज में लकड़चोरों एवं अतिक्रमणकर्ताओं पर कार्रवाई करने गये वनरक्षकों पर हमलें के कई संगीन वाकये सामने आये हैं जिसको लेकर विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है न ही अभ्यारण के अधिकारी जमीनी अमले को अकेले कार्यवाही में भेजने से परहेज करते हैं। विभागीय निर्देशों के अनुसार निजी क्षेत्राधिकार की भूमि या आवासीय परिसरों में तलाशी या जब्ती कार्रवाई के लिए
सक्षम अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य है इसके बाद भी ऐसे मामलों में वनरक्षकों को खतरें में भेजा जाना अभ्यारण की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्न खड़े करता है। अभ्यारण में टाइगर प्रोजेक्ट को लेकर बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्यो में विभाग के स्थानीय उच्च अधिकारियों की भी गहरी रूचि है। इसके विपरीत अभ्यारण के वनों एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति जवाबदेही तय नहीं हो रही है, ऐसी स्थिति में अभ्यारण की सुरक्षा व्यवस्था एवं प्रशासनिक
व्यवस्था सवालों के घेरे में हैं।
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