गंगा जल पहुंचाने के साथ ही नदी में भी पानी उपलब्ध रहने के लिये काम किया जा रहा है: मुख्यमंत्री | New India Times

अतीश दीपंकर, ब्यूरो चीफ, पटना (बिहार), NIT:

गंगा जल पहुंचाने के साथ ही नदी में भी पानी उपलब्ध रहने के लिये काम किया जा रहा है: मुख्यमंत्री | New India Times

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज जल-जीवन-हरियाली यात्रा के क्रम में गया के गांधी मैदान में आयोजित जन जागरूकता सम्मेलन सह जनसभा में 258 करोड़ 72 लाख रुपये की लागत वाली 59 योजनाओं का उद्घाटन एवं 699 करोड़ 60 लाख रुपये की लागत वाली 193 योजनाओं का शिलान्यास रिमोट के माध्यम से शिलापट्ट का अनावरण किया।
जनसभा को लेकर बने मंच पर मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ भेंट कर गया। जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने उनका अभिनंदन किया। इस अवसर पर जल-जीवन-हरियाली अभियान एवं गया जिले के विकासात्मक योजनाओं से संबंधित पुस्तिका का भी विमोचन किया गया। जागरूकता सम्मेलन में जल-जीवन-हरियाली अभियान पर आधारित लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।

स्थानीय नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र एवं फूलों की माला पहनाकर उनका स्वागत किया।

बालिकाओं ने मुख्यमंत्री के समक्ष जल-जीवन-हरियाली अभियान पर आधारित गीत ‘जल-जीवन-हरियाली हो, चारो ओर खुशहाली हो’ की प्रस्तुती दी।

जनसभा में 12 वर्षीय बालक लाल बाबू ने जल-जीवन- हरियाली अभियान से संबंधित एक गीत प्रस्तुत किये।

गंगा जल पहुंचाने के साथ ही नदी में भी पानी उपलब्ध रहने के लिये काम किया जा रहा है: मुख्यमंत्री | New India Times

जनसभा स्थल के निकट जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, ऊर्जा विभाग, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग, लघु जल संसाधन विभाग, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, शिक्षा विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, गया नगर निगम सहित अन्य विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का रिबन काटकर उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री ने इसका अवलोकन भी किया। प्रदर्शनी के अवलोकन के क्रम में मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के लाभार्थियों को वाहन की चाबी प्रदान की।
मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को देय लाभ प्रदान किया। उन्होंने जल संसाधन विभाग के स्टॉल पर अधिशेष नदी जल क्षेत्र से जल की कमी वाले क्षेत्रों में जल ले जाने की कार्ययोजना (पेयजल हेतु गंगाजल उद्वह योजना) मॉडल का सूक्ष्मतापूर्वक अवलोकन कर विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली।

इस मौके पर अनुग्रह कन्या प्लस टू की छात्राओं ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के उद्देश्य को अपनी एक्टिविटी के जरिये प्रदर्शित की।

जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने सबसे पहले कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का हृदय से अभिनंदन करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए इस बार की यात्रा जल-जीवन-हरियाली अभियान को लेकर है क्यांकि जलवायु परिवर्तन का दुष्परिणाम सबको भुगतना पड़ रहा है। वर्ष 2018 में बिहार के सभी 534 प्रखंडों में से 280 प्रखण्डों को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ा। जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण में आए बदलाव को देखते हुए इस वर्ष 13 जुलाई को विधानमंडल सदस्यों की एक संयुक्त बैठक बुलाई गई थी, जिसमें हमलोगों ने पूरे बिहार में जल-जीवन-हरियाली-अभियान चलाने का निर्णय लिया।

गंगा जल पहुंचाने के साथ ही नदी में भी पानी उपलब्ध रहने के लिये काम किया जा रहा है: मुख्यमंत्री | New India Times

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अभियान में जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को भी जोड़ा गया है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 11 सूत्री कार्यक्रम को पूरा करना है ताकि जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न संकट से लोगों को निजात दिलाया जा सके। इसके लिए सोखता निर्माण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वृहत पैमाने पर वृक्षारोपण, आहर-पईन, तालाब, सार्वजनिक कुंओं, नलकूपों का जीर्णोद्धार कराने के साथ ही उसे अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मकसद जल को संरक्षित करना और हरियाली को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार में 15 जून से ही मॉनसून की शुरुआत हो जाती थी और औसतन 1200 से 1500 मिलीमीटर वर्षापात हुआ करता था लेकिन पिछले तीस सालों में वर्षापात 1027 पर पहुँच गया है। पिछले 13 वर्षों के वर्षापात के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि यह घटकर 901 मिलीमीटर पर पहुँच गया है। हमने देखा कि इस वर्ष भूजल स्तर दक्षिण बिहार के साथ-साथ उत्तर बिहार के दरभंगा में भी काफी नीचे चला गया था। इसका मतलब यह है कि कुदरत हम सबको सचेत होने का संकेत दे रहा है। दुनिया के कई देशों में भूजल स्तर समाप्त हो गया है।

गंगा जल पहुंचाने के साथ ही नदी में भी पानी उपलब्ध रहने के लिये काम किया जा रहा है: मुख्यमंत्री | New India Times

मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञान और निर्वाण की भूमि गया का ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्व है। वर्ष 2006 में ही हमने गया की स्थिति का आंकलन किया था। जल-जीवन-हरियाली अभियान के जरिये गंगा नदी का पानी गया, बोधगया, राजगीर और नवादा पहुंचाया जाएगा। इसके लिए दर्जनों बार हमने बैठक कर कार्ययोजना तैयार की। जल संसाधन इस जिम्मेवारी को बेहतर ढंग से निवर्हन कर रहा है। मोकामा के पास से गंगा जल को राजगीर होते हुए गया लाया जायेगा। गंगा जल को शुद्ध कर पेयजल के रूप में घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक आदमी को प्रतिदिन औसतन 135 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है जिसको देखते हुए कार्ययोजना बनाकर काम आगे बढ़ रहा है। बरसात के 4 महीनों में गंगा का पानी निकालकर उसे स्टोर किया जाएगा ताकि बारहों महीने गया और बोधगया के लोगों को पानी मिलता रहे। अब तक गर्मी के दिनों में गया के लोगों को टैंकर के माध्यम से पेयजल पहुंचाया जाता रहा है। कल ही हमने गया में कैबिनेट की बैठक बुलाकर गंगा जल उद्वह योजना पर निर्णय लिया है। इसके लिए टेंडर भी निकल गया है और वर्ष 2021 तक गया और बोधगया में गंगा का पानी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जल-जीवन-हरियाली अभियान का यह छठा अंश है। साल दर साल सुधार करके
पितृपक्ष मेले को बेहतर स्थिति में पहुंचाया गया। दुनिया भर से प्रतिवर्ष करोड़ां लोग गया और बोधगया आते हैं। उन्होंने कहा कि फल्गु नदी में हमेशा पानी रहे इस दिशा में भी हमलोग काम कर रहे हैं। इसके लिए विष्णु पद मंदिर के पास फल्गु नदी में चेक डैम बनाकर स्नान एवं पूजा करने के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। फल्गु नदी में नाले का पानी डिस्चार्ज न हो इसके लिए आवश्यकतानुरूप सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर नाले के ट्रीटेड पानी का सिंचाई में इस्तेमाल किया जाएगा। इस पर भी काम जारी है। उन्होंने कहा कि आप सबों को किसी बात के लिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हमने ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी को गया में कायम रखने के लिए 17 दिसम्बर को रक्षा मंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मैं उनसे बात भी करूगा।

महिलाओं से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आप लोगों की मांग पर ही 1 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई। इसके प्रति सचेत रहते हुए निरंतर अभियान चलाते रहने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीने के कारण दुनिया भर में मरने वालों की संख्या प्रतिवर्ष दुनिया भर में जितनी मौतें होती हैं, उनमें 5.3 प्रतिशत मौतें शराब पीने के कारण होती हैं। 20 से 39 आयु वर्ग के बीच होने वाली मौतों में 13.5 प्रतिषत मौतें शराब सेवन के कारण होती हैं। शराब सेवन के कारण दुनिया भर में 18 प्रतिशत आत्महत्या के मामले, 18 प्रतिशत आपसी झगड़े, 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटना के मामले होते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेतो में फसल अवशेष जलाने की परंपरा पंजाब और हरियाणा से शुरू हुई जो रोहतास-कैमूर होते हुए धीरे-धीरे बिहार के अन्य इलाकों में भी पहुंच गयी है, यह बहुत ही खतरनाक है। खेतों में फसल अवशेष जलाए जाने की परम्परा पर पाबंदी लगाने के लिये लोगों को प्रेरित करने के साथ-साथ हमलोग किसानों की मदद भी करेंगे। उन्होंने कहा कि फसल कटाई के वक्त खेतों में फसलों का अवशेष नहीं रहे इसके लिए रोटरी मल्चर, स्ट्रा रिपर, स्ट्रा बेलर एवं रिपर कम बाइंडर और बुआई के लिए हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज मशीन जैसे कृषि यंत्रों की खरीद पर राज्य सरकार किसानों को 75 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, एवं अतिपिछडे समुदाय के किसानों को 80 प्रतिशत का अनुदान मुहैया करा रही है। फसल कटाई के लिए इन नये यंत्रों को उपयोग में लाना होगा ताकि फसल अवशेष को पशुचारे में परिणत किया जा सके। फसल अवशेष का अधिक से अधिक पशुचारे के रूप में उपयोग हो इसके लिए हमलोग गायों की संख्या बढाएंगे। खेतों में फसल अवशेष जलाने से मिट्टी की उर्वराशक्ति कम हो जाती है। फसल अवशेष प्रबंधन को भी जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोड़ा गया है, इससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। मौसम के अनुकूल फसल चक्र में बदलाव लाने एवं लोगां को इसके लिये प्रेरित करने के लिए प्रयोग के तौर पर 4 संस्थानों के सहयोग से 8 जिलों में अनुसंधान का काम शुरू करवाया गया है। जिसे बाद में पूरे बिहार में लागू किया जाएगा ताकि किसानों की आमदनी भी बढ़ाई जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अलग होने के बाद बिहार में हरित आवरण मात्र 9 प्रतिशत ही रह गया था। वर्ष 2012 से हरियाली मिशन के तहत पूरे बिहार में 19 करोड़ पौधे लगाये गये, जिसके बाद बिहार का ग्रीन कवर एरिया बढ़कर 15 प्रतिशत पर पहुंच गया। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 8 करोड़ पौधे और लगवाये जायेंगे ताकि हरित आवरण को 17 प्रतिशत तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि 94 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले बिहार की आबादी करीब 12 करोड़ है जिसको देखते हुए ही हमें हरित आवरण बढ़ाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल चुनाव में जाने से पहले पूरे बिहार में हर घर तक नल का जल उपलब्ध करा देंगे। नल का जल शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल है इसलिए इसका दूसरे कामो में दुरुपयोग न करें।


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By nit

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