अंकित तिवारी, आजमगढ़ (यूपी), NIT:
रिहाई मंच, भीम आर्मी, जीवन ज्योति शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान व अन्य संगठनों ने राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन जिला मजिस्ट्रेट आज़मगढ़ को सौंपा। इस अवसर पर वक्ताओं ने व्यापक जन विरोध के बावजूद विवादास्पद और विभाजनकारी नागरिकता संशोधन विधेयक को बहुमत के नशे में लोकसभा से पारित कराए जाने को सत्ता अहंकार और जन भावनाओं का निरादर बताया। वक्ताओं ने कहा कि देश की बहुसंख्य जनता इस विधेयक के खिलाफ है। गृह मंत्री ने लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए गलत तथ्य प्रस्तुत किया और इस तरह सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई। अमित शाह ने कहा कि पड़ोसी देशों से धार्मिक उत्पीड़न के चलते आए लाखों-करोड़ों लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं, उनके पास मतदान का भी अधिकार नहीं है, विधेयक पारित होने के बाद वे सम्मान का जीवन जी सकेंगे जबकि संख्या सम्बंधी ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है। मतलब कि अमित शाह ने जो कहा, वह पूरी तरह तथ्यहीन और भ्रामक है। बलात्कार की घटनाओं को लेकर पूरा देश आंदोलित है और भारत महिलओं के लिए सबसे असुरक्षित देशों में शामिल हो गया है। अमरीका और ब्रिटेन ने महिला सैलानियों को भारत न जाने की एडवाइज़री तक जारी कर दी है लेकिन इस सरकार की प्राथमिकता में महिला सुरक्षा शामिल नहीं है। गृहमंत्री को उस पर चर्चा पसंद नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि यह संशोधन विधेयक सावरकर और जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धान्त को दोहराने जैसा है। वर्तमान सत्ता जनता से जुड़े हर मोर्चे पर असफल है इसलिए वह जनता का ध्यान आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ आदि ज्वलंत मुद्दों से हटाना चाहती है। साथ ही अपने मनुवादी एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए देश के भूमिहीन, गरीब, वंचित, मज़दूर, अपढ़ आबादी को दस्तावेज़ों के अभाव में विदेशी घोषित कर अल्पसंख्यकों को डिटेंशन कैम्पों में डाल देना चाहती है। बहुजन आबादी को दया का पात्र मानते हुए नागरिकता देकर आरक्षण और संविधान प्रदत्त अन्य सुविधाओं से वंचित कर देना चाहती है। संविधान धार्मिक आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं देता। स्वतंत्र भारत में राज्यों की सीमा निर्धारण के समय भी धार्मिक आधार को खारिज किया गया था। भाजपा ने इस विवादास्पद विधेयक के पारित करवाने की ज़िद बांधकर व्यावहारिक रूप से संविधान की प्रस्तावना को ही फाड़ने का काम किया है।
इस अवसर पर रिहाई मंच कार्यकारी संयोजक सालिम दाऊदी, भीम आर्मी के धर्मवीर भारती, जीवन ज्योति शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान के प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद यादव, गुलाम अंबिया, उमेश कुमर, रवि कुमार शाह आलम शेरवानी, संतोष कुमार, नदीम अहमद, अवधेश यादव, मसीहुद्दीन संजरी, कौसर पठान, सदरुद्दीन उर्फ बाबा, श्रवण यादव, सलमान अहमद, न्याज़ अहमद उर्फ बुद्धन आदि उपस्थित थे।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.