संदीप शुक्ला, ग्वालियर ( मप्र ), NIT; केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 7 अप्रैल को गोवा के एक समारोह में कहा कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ को बढ़ावा मुम्बईया और क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में भी देती हैं। सभी फिल्मों में रोमांस की शुरूआत छेडख़ानी से ही होती है। जो लोग फिल्में देखते हैं उन्हें पता है कि फिल्मों को बेचने के नाम पर महिलाओं का चित्रण किस प्रकार से किया जाता है? सवाल सिर्फ फिल्मों का नहीं है। अब तो घर-घर में देखे जाने वाले टीवी सीरियल फिल्मों से भी आगे निकल गए हैं। फिल्मों और सीरियलों में महिलाओं को लेकर जितनी भी नग्नता और अश्लीलता दिखाई जा रही है उससे हमारी भारतीय संस्कृति लगातार खराब हो रही है। टीवी सीरियल में तो एक महिला के संबंध कई पुरुषों से बताए जा रहे हैं। फिल्मों की तो सरकार के सेंसर बोर्ड से अनुमति लेनी होती है, लेकिन टीवी सीरियल के लिए तो कोई नियंत्रण नहीं हैं, इसलिए हमारे देश में बिग बॉस जैसे सीरियल भी टीवी चैनलों पर प्रसारित हो रहे हैं। ऐसे सीरियलों में खुलेआम गालियां बकी जा रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों के लिए लम्बी बहस होती है, लेकिन कोई यह नहीं कहता कि फिल्मों और सीरियलों में जो नग्नता परोसी जा रही है उसे रोका जाए। मुम्बईया हिन्दी फिल्मों के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि पश्चिम की पोर्न फिल्मों की हिरोइन सन लियोनी भी हमारे यहां सफल हो गई। अब तो डांस इंडिया के नाम पर लड़के लड़कियों को ऐसे नचाया जा रहा है जिसमें अश्लीलता की सभी हदें पार हो गई हैं। मेनका गांधी ने एक सही मुद्दा उठाया है। केन्द्र की मोदी की सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता दिखानी चाहिए। जो विदेशी चैनल मनोरंजन के नाम पर बिग बॉस जैसे फूहड़ सीरियल दिखा रहे हैं उनके विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। अनेक बार देखा गया है कि तथाकथित प्रगतिशील महिलाओं के संगठन किसी महिला के साथ ज्यादती होने पर इंडिया गेट पर मोमबत्ती लेकर प्रदर्शन करते हैं। अच्छा हो कि ऐसे संगठन फिल्मों और सीरियलों में परोसे जाने वाली नग्नता और अश्लीलता को रुकवावें।
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