फराज अंसारी, बहराइच ( यूपी ), NIT; बहराइच जिला अस्पताल जो लापरवाही और असुविधा के लिए हमेशा चर्चा में रहता है, एक बार फिर चर्चा में है। मामला है वनदुर्गा उर्फ मोगली गर्ल के इलाज़ व देखरेख का।
बहराइच जिला अस्पताल में मोगली गर्ल के इलाज़ में हुई घोर लापरवाही के बाद अब अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी खुद ही अपनी पीठ ठोंक रहे हैं और मोगली गर्ल का बेहतर देखरेख और इलाज का दावा कर रहे हैं।
उसे जंगल गर्ल कहिये या मोगली गर्ल या जंगल की वनदुर्गा, बची तो वह अपनी बुलंद तकदीर से ही है। कहते हैं कि “जाको राखे साईंया, मार सके न कोई”यह कहावत वनदुर्गा पर चरितार्थ हो रही है। इस लड़की का मामला चर्चा में आया तो उसको अनेकों नाम भी मिले और आनन फानन में स्वास्थ्य कर्मियों ने उसे साफ़ सुथरा कर कपड़े भी पहना दिए। हालांकि इसके पहले स्वास्थ कर्मियों ने वनदुर्गा के इलाज व देखरेख में अनेकों लापरवाहियां बरती हैं। फ़टे गन्दे व आधे अधूरे कपड़ों में वह अक्सर वार्ड के जमीन में घिसट-घिसट कर चलती थी। अस्पताल में बना हुआ खाना कर्मचारी उसको पत्तलों में पहुंचा कर चले जाते थे। जिसे वह गन्दी जमीन पर खाती और जमीन में बेसुध सी पड़ी रहती थी, यही नहीं दबी जुबान में स्वास्थ्य कर्मियों ने कही है की उसे पान मसाले(कमलापसन्द गोमती) को खाने की लत लग चुकी है। वनदुर्गा जमीन पर मरीज व तीमारदारों द्वारा सेवन किये गए गुटका कमलापसंद व गोमती के फेंके गए खली रैपर को जमीन से उठा कर खाती थी। कहते हैं कि तस्वीरें सच का आईना होती हैं, विश्वाश न हो तो खबर के साथ छपी तस्वीरों को ज़रा गौर से देखिये आप सब कुछ स्वयं समझ जाएंगे। फर्श से उठा कर खाना खाना और बिस्तर पर ही मल मूत्र में कई कई दिन सनी पडी रहना और उसके बढ़े हुये बाल उसके साथईहुई लापरवाही की दास्तां खुद बयां करते हैं। मामला चर्चा में आया तो स्वास्थ्य कर्मियों ने चौकन्ना होते हुये वनदुर्गा की रूप रेखा ही बदल दी। उसे नहला धुला कर साफ़ किया गया और उसे कपड़े पहनाऐ गये। अब स्वास्थ्य कर्मी ये कहते हुये नहीं थकते हैं कि वनदुर्गा का बेहतर ढंग से पालन पोषण व इलाज़ हुआ है।वनदुर्गा को पहले जब वह हाथ पैरों में जख्म लिए पुलिस कर्मियों के द्वारा भर्ती कराइ गयी थी तो उसे संक्रामक वार्ड में भेज दिया गया जबकि उसे सर्जिकल वार्ड में भर्ती करना चाहिए था।
चिकित्सकों का खुद मानना है कि जख्मी मरीज को संक्रामक वार्ड में भर्ती करने से उसके जख्म में और संक्रमण होने की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है। अपने ही हाथ से अपनी पीठ थपथपा रहे स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों व चिकित्सा कर्मियों के पास इन बिंदुओं का कोई जवाब हो तो बतायें कि आखिर इस वन दुर्गा प्रकरण में पहले लापरवाह स्वास्थ्य कर्मी क्या कर रहे थे? पहले वह क्यों जमीन की धूल फांक रही थी?
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