सत्ता कि बंदरबाट में उलझी महायुती, झमाझम बारिश से फ़सलें बर्बाद | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:सत्ता कि बंदरबाट में उलझी महायुती, झमाझम बारिश से फ़सलें बर्बाद | New India Times

19 अक्तूबर से महाराष्ट्र में मानसून की वापसी के बाद से लगातार हो रही बारिश से कपास, मकई, जवार, बाजरा, सोयाबीन समेत तमाम फ़सलें पूरी तरह से बरबाद हो चुकी हैं। दिवाली के मुहाने कटाई पर आयी इन लहलहाती फ़सलों को भारी बारिश ने सफ़ाचक कर दिया है जिसके चलते किसानों की जेब में आज जो भी पैसा है जिसे रबी कि बुवाई के लिए साहुकारों से ब्याज पर या स्थानीय वित्तीय संस्थाओं से उठाया गया है उसे घर परिवार के लिए त्योहारी खरीदारी पर खर्च करना भी कास्तकारों के लिए किसी संकट से कम नहीं है।

सत्ता कि बंदरबाट में उलझी महायुती, झमाझम बारिश से फ़सलें बर्बाद | New India Times

खरीफ में जो कुछ दालदलहन कपास हाथ लगा उसे बाजार लेकर पहुंचे किसान को डेढ गुना एमएसपी जैसा ना दाम मिला है और ना ही सम्मान। राज्य के उत्तरी विभाग में बारिश से नदियां उफ़ान पर हैं, यही हाल सुबे के अन्य इलाकों में दिखाई पड़ रहा है लेकिन राहत पैकेजेस की समीक्षा के लिए कार्यवाहक सीएम की ओर से कोई संजीदगी नहीं है। यह स्थिति ठीक उसी तरह है जैसे पश्चिमी महाराष्ट्र में फ़डणवीस सरकार की अलमट्टी डैम को लेकर बरती गई लापरवाही से अगस्त में आई बाढ़ के कारण कोल्हापुर, सांगली, सातारा का गन्ना उत्पादक किसान जो अपनी सालभर की आमदनी पशुधन खोने के बाद सरकार की लालफीताशाही से अब तक भी खड़ा नहीं हो पा रहा है। मंदी के कारण बंद पड़ रहे कृषि पुरक उद्योगों के बेरोजगारों का हाल बेहद बुरा है। इस विषय पर बस कुछ लाईनें लिखने से ही अचानक सबकुछ बदल जाएगा इसकी उम्मीद करना उस पत्रकारीता के साथ नाइंसाफी हो सकती है जो बची है तो केवल नेताओं की चाटुकारिता के लिए।

सत्ता कि बंदरबाट में उलझी महायुती, झमाझम बारिश से फ़सलें बर्बाद | New India Times

नतीजों के बाद उन्नीस बीस मीडिया का पूरा फ़ोकस महायुती की सत्ता के बंदरबाट पर है सत्ता में बिठाने वाले किसानों और मजदूरों पर नहीं। किसी भी सरकार का गुड गवर्नंस उसकी अपनी विशेष उपलब्धी होती है जिसके बलबूते सरकार में शामिल पार्टियों का परफ़ार्मंस आंका जाता है। महाराष्ट्र में फ़डणवीस सरकार के गवर्नंस की तत्परता को कोल्हापुर पर थोपी गयी बाढ़ से पीड़ित वहां के बाशिंदों ने इस चुनाव नतीजों में जरुर ठीक से नापा है। अब भारतीय होने के नाते मोदी जी के 370 वाले प्रखर राष्ट्रवाद वाली भावना का आलोचना के साथ साथ सम्मानपुर्वक आदर होना भी तो सशक्त लोकतंत्र और शक्तीशाली भारत की वैश्वीक गरिमा के लिए जरुरी है। शायद इसलिए युति को सचेत जनादेश और विपक्ष को पर्याप्त बल प्रदान किया गया है।


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