अंतिम संस्कार करने के लिए करना पड़ता है नदी पार | New India Times

रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

अंतिम संस्कार करने के लिए करना पड़ता है नदी पार | New India Times

मध्यप्रदेश में कितनी सरकारें आईं और चली गईं, सरकार ने जनता से वादे किए थे कि हम विकास की गंगा बहा देगे लेकिन सरकार के तमाम दावे ओर वादे तब खोखला लगने लगते है जब इस प्रकार की तस्वीर मन को विचलित करने वाली सामने आती है।
आदिवासी बाहुल्य जिला झाबुआ में विकास के नाम पर सरकार लाखों करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है ! लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
आज भी जिले के अनेक गांव अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। एक ताजा उदाहरण झाबुआ जिले के पेटलावद विकासखंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत छोटी गेहन्दी में देखने को मिला। अंतिम संस्कार के लिए शव को मुक्तिधाम तक ले जाने में ग्रामीणों को कितनी जद्दोजहद ओर मुश्किलो के बाद पहुंचना पड़ रहा है। शव को कंधों पर उठाकर लबा लब भरी नदी मे उतरकर ले जाना पड़ रहा है। बारिश के मौसम मे क्षेत्र के सभी नदी नाले उफान पर है, ऐसे में शव का अंतिम संस्कार भी जरूरी है, सरकारी तंत्र की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को अपनी जान जोखीम मे डालकर शव का अंतिम संस्कार करने के लिए जाना पड़ रहा है। हमारे चित्र बता रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनी हकीकत के लोग किस तरह परेशानियों का सामना करते है।


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