पीयूष मिश्रा, सिवनी ( मप्र ), NIT; फिल्म में बताया गया है कि आज बेटियों का किस तरह ह्रास हो रहा है? किस प्रकार भ्रूण हत्या जैसे कुकर्म को किया जाता रहा है? बच्चियों को किस तरह बाल विवाह जैसी प्रथाओं की अग्नि में झोंक दिया जाता रहा है? महिला हमेशा से ही यातनाओं का सामना करती रही है। यह फिल्म विश्व को ऐसा संदेश देती है कि महिलाओं का सदैव सम्मान और उनकी रक्षा करना हर जन मानस का कर्तव्य बनता है। क्षेत्रों में आज भी जो कुरीतियां चली आ रही हैं उन पर प्रतिबंध होना चाहिए।यह फ़िल्म और भी देश विदेश की फ़िल्मों के साथ भारत वर्ष में अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में दिखाई गई है और इनमें से 6 अवार्ड्स प्राप्त कर चुकी है। जिनमें 4 बेस्ट फ़िल्म के व 2 बेस्ट डिरेक्टर के। दुनियां भर के क़रीब 26 समारोहों में ये भेजी गई है। नैशनल अवॉर्ड के लिए भी भेजी गई है।
इस का निर्देशन, सम्पादन व पटकथा लेखन प्रसिद्ध निर्देशक कृष्ण कांत पण्ड्या ने किया है। जिन्हें पहले भी अन्य कार्यक्रमों में फिल्म के कारण सम्मानित किया जा चुका है।
श्री पण्ड्या ने पूर्व में नसरुद्दीन शाह, स्वर्गीय प्राण की फिल्म पनाह और अजय देवगन और नसीरुद्दीन शाह की बेदर्दी का निर्देशन किया है। इनके अलावा चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का जौहर ,जय श्रीकृष्ण व पृथ्वीराज चौहान जैसे सीरियल का डायरेक्शन किया है।
- महिला नहीं तो दुनिया खत्म हो जाएगी
अंतरराष्ट्रिया फ़िल्म समारोहों में कृष्ण कांत पण्ड्या की हिंदी फ़िल्म बियाबान-द कर्स बाई विमन का प्रदर्शन किया गया। जिसमें दर्शकों की खूब वाह वाही लूटी गई फिल्म के निर्देशक ने बेटी बचाव और महिला सुरक्षा पर मुख्यतः प्रकाश डाला है, जिसमें ग्रामीण व पिछड़े एरिया की महिलाओं की दशा पर मुख्यतः प्रकाश डाला है। इस दौरान फिल्म डायरेक्टर सम्पादक व पटकथा लेखक श्री कृष्णकांत पांड्या ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा की यदि इसी तरह महिलाओं के साथ अत्याचार होता रहा तो, निकट भविष्य में विश्व में एक ऐसा रूप देखने को मिलेगा जो की, कभी किसी ने सोचा नहीं होगा, यदि महिला नहीं रहेगीं तो कुछ नहीं रहेगा।
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