पोषण संस्कार का रोडमैप बनाने हेतु पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस की अध्यक्षता में नई दिल्ली में सम्पन्न हुई कार्यशाला | New India Times

मेहलक़ा अंसारी, नई दिल्ली/बुरहानपुर, NIT:

पोषण संस्कार का रोडमैप बनाने हेतु पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस की अध्यक्षता में नई दिल्ली में सम्पन्न हुई कार्यशाला | New India Times

दीनदयाल शोध संस्थान नई दिल्ली, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (डीआरआई) तथा अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में मध्यप्रदेश की पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस दीदी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीमती अर्चना चिटनिस दीदी ने कहा कि जिस प्रकार हम अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कार को मानते हैं उसी प्रकार का पोषण को सत्रहवें संस्कार के रूप में मान्यता देने की ज़रूरत है । इस के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं के माध्यम से मानव के पोषण संतुलन तथा पर्यावरण की सुरक्षा को बनाए रखना है। कार्यशाला में आयुर्वेद चिकित्सकों, पोषण विशेषज्ञ, आहार विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, नीति निर्माताओं ने अपने विचार रखे तथा संयुक्त रूप से इस विषय पर कार्य करने हेतु व्यापक कार्ययोजना बनाने का निर्णय लिया गया।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया कि कार्यशाला में विशेषज्ञों ने आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के पारंपरिक ज्ञान को समग्र स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु उसका अभ्यास करने की आवश्यकता तथा औषधि के रूप में भोजन की अवधारणा को पुनर्जीवित और बढ़ावा देने की आवश्यकता एवं स्थानीय रूप से उगाई गई फसलों, खाद्य तेलों, दालों, जड़ी-बूटियों और मसालों को दैनिक आहार में शामिल करने तथा उपरोक्त विषयों के व्यापक सामाजिक प्रभावों पर चर्चा की गई। साथ ही आधुनिक विज्ञान एवं पारंपरिक ज्ञान को एक साथ देखने और समग्र स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अभ्यास करने की आवश्यकता पर जोर दिया। स्थानीय रूप से उगाई गई फसलों, खाद्य तेलों, दालों, जड़ी-बूटियों और मसालों को पंच रस के रूप में दैनिक आहार में शामिल करने पर भी जोर दिया गया। वास्तव में क्षेत्र-विशेष और मौसमी भोजन के साथ भावनात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध हमेशा किसी भी इंसान के शरीर, मन और आत्मा को जोड़ते हैं। उत्कृष्टता के लिए हमारी इच्छा के मूल में संतुलित और स्वस्थ आहार है। पिछले कुछ दशकों के पश्चिमी प्रभाव के कारण संतुलित आहार की परिभाषा बदल गयी है और फास्ट फूड ने हमारी दैनिक दिनचर्या में, परिवर्तित जीवन शैली के साथ प्रवेश किया है। कृषि, पोषण, आयुर्वेद, सार्वजनिक स्वास्थ्य, बाजार संचालित उद्योगों के साथ इंटरलिंक्ड मॉडल उज्ज्वल भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है तथा यह दृष्टिकोण हमारी नीति में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
बैठक में अतुल जैन, डॉ.शमिका रवि, श्रीमती श्रद्धा मराठे, ब्रुकिंग्स इंडिया, डॉ ज्योति चौथीवाले, डॉ.रश्मि शर्मा, डॉ.मीना कुमारी, डॉ.ममता त्रिपाठी, डॉ.अमित गोस्वामी, डॉ.तनुजा नेसरी, श्रीमती अनीता जताना, सुश्री ज्योतिष अरोड़ा, डॉ.मंगला गौरी राव, सुश्री शिल्पा ठाकुर, डॉ.शिवकुमार हरती विशेष रूप से उपस्थित रहे।


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