राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के कामकाज से मुस्लिम समुदाय का सरकार पर से उठने लगा है विश्वास | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के कामकाज से मुस्लिम समुदाय का सरकार पर से उठने लगा है विश्वास | New India Times

राजस्थान की कांग्रेस सरकार से या फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से व्यक्तिगत तौर पर चली आ रही नाराजगी व उठते विश्वास के कारण राजस्थान का मुस्लिम समुदाय एक बार फिर 6 महिने पहले बनी प्रदेश की गहलौत सरकार से सख्त नाराज नजर आ रहा है।
जयपुर के नाई की थड़ी इलाके में लगने वाले हटवाड़े से कानूनन सन् 2017 में गाय खरीदकर रशीद के साथ अपने गावं ले जा रहे 55 साला डेयरी संचालक पहलू खान को भीड़ ने पीट पीटकर मार डाला था। उस मामले में पहलू खान को इंसाफ दिलवाते हुये उसके हत्यारों को सजा दिलवाने की बजाय गहलोत सरकार ने पहलू खान व उनके पूत्रों को ही गौ-तस्कर बताते हुये उनके खिलाफ अब चालान पेश करके सरकार का असली रुप दिखा देने से सभी इंसाफ पसंद लोगों के पैरों के नीचे से जमीन खिसका कर रख दिया है।
इससे पहले पिछली अशोक गहलोत सरकार के समय सीकर के खीरवा गांव के पुलिस अधिकारी फूल मोहम्मद को सवाईमाधोपुर जिले के सूरवाल गांव में ड्यूटी का फर्ज निभाते समय भीड़ द्वारा जिंदा जलाकर मौत के घाट उतारने का पूरी तरह इंसाफ उनके परिजनों को आज तक नही मिल पाया है। इसी तरह भरतपुर जिले के गोपालगढ कस्बे की मस्जिद में पुलिस द्वारा नमाजियों को गोली से भून देने के मृतकों के परिवार को इंसाफ मिलने के बजाय उन्ही पर मुकदमे ठोंक देने की सजा आज तक वो भुगत रहे हैं।
अशोक गहलोत के इससे पहले के दो मुख्यमंत्रीकाल में हुये साम्प्रदायिक तनाव व दंगों का दंश आज तक समुदाय झेल रहा है। तो वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्रीकाल में मदरसा पेरा टिचर्स को प्रबोधक बनाकर सरकारी सेवा से जोड़ने के बावजूद गहलोत के तीसरे मुख्यमंत्रीकाल में आज तक किसी एक भी पेरा टिचर को भारी मांग के बावजूद प्रबोधक या फिर किसी भी रुप में सरकारी सेवा में नहीं जोड़ा गया है। इतिहास पर नजर दोड़ाएं तो पाते हैं कि अशोक गहलोत के राजस्थान के ग्रहमंत्री काल में काला कानून टाडा के तहत प्रदेश में पहली गिरफ्तारी तत्तकालीन समय में हुई थी।
कुल मिलाकर यह है कि 6 महीने पहले अशोक गहलोत के नेतृत्व में प्रदेश में कांग्रेस सरकार गठित होने के बाद ऐडवोकेट जनरल व अतिरिक्त ऐडवोकेट जनरल में मनोनयन में एक भी मुस्लिम ऐडवोकेट को मनोनीत नहीं करने से लेकर विभिन्न तरह के मनोनयन व चयन में मुस्लिम को दूर रखने के साथ साथ भीड़ द्वारा मारे गये गौपालक पहलू खान को इंसाफ देने के बजाय उसे व उसके पुत्रों को गो-तस्कर बताते हुये उनके खिलाफ चालान पैश करने से लोगों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है। उक्त सभी हालातों से लगता है कि या तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार पर पकड़ नहीं है। अगर है तो फिर उनकी नियत में खोट नजर आता है। अगर वास्तव में अशोक गहलोत राजस्थान की जनता में राहत व इंसाफ की आवाज बूलंद करना चाहते हैं तो उनको सरकार का इकबाल कायम रखना होगा।


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