नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
17 वीं लोकसभा के आम चुनावों के पहले संदेह के घेरे में रही और चमत्कारी नतीजो के बाद विपक्ष के कुठाराघात का शिकार बन रही EVM मशीन को लेकर बढता विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। ईवीएम को लेकर भाजपा के अलावा लगभग सभी विरोधी दल बैलेट पेपर पर चुनाव की मांग कर रहे हैं जिसे सिरे से दरकिनार किया जा रहा है और इस की ठोस वजह बताने के बजाय चुनाव आयोग सकारात्मक पहल के बजाये ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर उलटा विपक्ष को ही चुनौती दे रहा है। लोकसभा चुनावों के बाद फ़िर से EVM मशीन का मुद्दा सुर्खियों में बना है। भारिप बहुजन महासंघ के नेता श्री प्रकाश आंबेडकर कि अगुवाई में महाराष्ट्र के सभी तहसीलों में आज एक साथ सोमवार को EVM हटाव देश बचाओ आंदोलन किया गया है। जलगांव जिला के जामनेर में भारिप के पदाधिकारियों ने तहसिल कार्यालय में पंडाल लगाकर EVM के खिलाफ़ जमकर नारेबाजी की। मौके पर विपक्ष के कुछ कार्यकर्ताओं ने भी इस आंदोलन का मंच साझा किया।
विदीत हो कि सरकार के विरोध में माहौल होने के बावजुद महाराष्ट्र में बीते सालभर में संपन्न विभिन्न स्थानीय निकायों के चुनावों में भाजपा ने एकतरफ़ा जीत हासिल की, इस जीत को पैटर्न के रुप में इस कदर अमल में लाया गया कि जनता में भी अब EVM की पारदर्शिता पर सीधे सवाल उठाए जाने लगे। यही नहीं सत्तापक्ष के सहयोगी दल शिवसेना के नेताओं के EVM को लेकर मिडीया में अभिव्यक्त बयानों ने तब भाजपा पर सीधे कटाक्ष किया था इस हकिकत को सोशल मीडिया में आज भी केवल एक क्लीक पर देखा जा सकता है। यह बात अलहदा है कि लोकसभा मे 18 सीटें जीतने के बाद शिवसेना ने EVM पर शायद कोई बयान नहीं दिया हो। तमाम विपक्षी दलों के साथ सामाजिक संगठनों ने बैन EVM का एक व्यापक कैंपेन चलाया है जिसके चलते अक्तुबर 2019 में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा के आम चुनावों के लिए बैलेट पेपर की मांग को माना जाना ही चाहिए, ऐसी प्रतिक्रिया लोगों में व्यक्त की जा रही है।
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