हर बात थी वही पर मतलब बदल गए, खाकी तुमको नमन: जब परिवार साथ नहीं आया तो सिपाहियों ने दिया कंधा | New India Times

हनीफ खान, प्रयागराज (यूपी), NIT:

हर बात थी वही पर मतलब बदल गए, खाकी तुमको नमन: जब परिवार साथ नहीं आया तो सिपाहियों ने दिया कंधा | New India Times

भारतीय संस्कृति के अनुसार जब पत्नी का देहांत हो जाता है तो उसका पति कंधा देता है, लेकिन परिस्थिति को कुछ और मंजूर था। एक महिला जो गंभीर बीमारी की वजह से देहांत हो गया, पति जीवित था लेकिन कंधा देने से मना कर दिया। घर में जवान बेटी थी, अपने पिता को खबर भी दी लेकिन उसका दिल नहीं पसीजा, बेबस लाचार बेटी उसके पास इतना पैसा भी नहीं था कि अंतिम संस्कार कर पाती, बात नहीं बनी तो कुछ सुझा और UP 100 पुलिस को फोन किया सूचना दी, फिर 100 नंबर पुलिस तो हर रूप में आ जाती है।

महिला की अर्थी को सिपाही का कंधा

हम यदि समाज का हिस्सा हैं तो फ़र्ज़, रस्म और संस्कार जिन्हें हमको हर हाल में निभाना भी होता है, फिर चाहे वह कैसे भी हों।
जनपद प्रयागराज थाना सोरांव की चौकी UP 100 गाड़ी से का० बिजेंद्र यादव, का० विनित मलिक, हे का० सतेन्द्र तोमर व म० का० कांस्टेबल ममता उसके घर पहुंचे। यहाँ एक विचित्र बात ये भी है कि बेटी के आँसू पोंछने वाला भी कोई नहीं था। मोहल्ले वाले भी न जाने कब की दुश्मनी निकाल रहे थे, ये समय ऐसा होता है जब इंसान टूट जाता है। ख़ैर बिजेंद्र, विनित मलिक, सतेन्द्र तोमर और ममता ने जब उसके घर पहुँचकर कहानी सुनी तो दंग रह गए। बेटी रोए जा रही थी। ममता ने उसे चुप कराया और बिजेंद्र, विनित और सतेन्द्र ने बिटिया से अंत्येष्टि का पूर्ण ख़र्चा उठाने के लिए आश्वासन देकर पैसे दिए और एक युवक को भेजकर पूरा सामान मंगवाया और अर्थी तैयार कर इसे स्वयं कांस्टेबल बिजेंद्र यादव , विनित मलिक और सतेन्द्र तोमर द्वारा कंधा देकर शमशान घाट ले जाया गया और उनका अंतिम संस्कार पूर्ण क्रिया कर्म के साथ किया गया।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading