हाशिम अंसारी, ब्यूरो चीफ, सीतापुर (यूपी), NIT:
एक तरफ वर्तमान सांसद राजेश वर्मा मोदी लहर चलने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी कैसर जहां कांग्रेस पार्टी के वादों को याद दिलाते घूम रही हैं लेकिन सीतापुर क्षेत्र की बात की जाए तो यहां ना मोदी लहर है और ना ही कोई कांग्रेस प्रत्याशी की हवा चल रही है बल्कि यहां गठबंधन प्रत्याशी का पलड़ा भारी दिख रहा है। लोगों की मानें तो ऐसा इसलिए है कि वह ऐसे प्रत्याशी जो क्षेत्र के चौमुखी विकास करने के लिए योग्य हैं इसके अलावा सर्व समाज का समर्थन गठबंधन प्रत्याशी को मिल रहा है जिस से गठबंधन प्रत्याशी सभी पर भारी नजर आ रहा है। लेकिन अब यह समय ही बताएगा कि किसको जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है।
लोकसभा चुनाव में मतदान की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे ही प्रत्याशी अपनी पूरी जोर आजमाइश में लगे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी की घोषणाओं का बखान करती घूम रही हैं लेकिन वह मुकाबले में कहीं नजर नहीं आ रही हैं। वहीं कुछ प्रत्याशियों पर सीतापुर की जनता का आरोप है कि प्रत्याशी चुनाव के समय ही नजर आते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। कांग्रेसी प्रत्याशी की बात की जाए तो 2014 के लोकसभा चुनाव में सांसद राजेश वर्मा निर्वाचित हुए थे उससे पहले 2009 में सीतापुर लोकसभा के चुनाव में यहां से कैसर जहाँ सांसद बनी थी लेकिन सीतापुर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में नाकाम रहीं। कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी को 2014 में निराश होना पड़ा। नाकाम रही कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी कैसर जहां कांग्रेस पार्टी के कर्ज माफी का गुणगान करते हुए वह लोगों से वोट की अपील कर रही हैं। बीजेपी से राजेश वर्मा, कांग्रेस पार्टी से कैसर जहां, व बसपा सपा रालोद गठबंधन से नुकुल दुबे सभी की तुलना में सीतापुर लोकसभा सीट पर भारी पड़ रहे हैं।
नुकुल दुबे चुनाव के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। इससे पहले कैबिनेट मंत्री रह चुके गठबंधन प्रत्याशी ने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास की गंगा बहा दी थी जिसे देखते हुए सीतापुर की जनता नकुल दुबे के साथ दिखाई दे रही है। पूर्व मंत्री नकुल दुबे अपने चुनाव प्रचार के लिए जनता से सीधे रूबरू हो रहे हैं। गठबंधन प्रत्याशी के द्वारा गठबंधन के कार्यकर्ताओं का ख्याल भी रखा जा रहा है इससे कार्यकर्ता भी तन मन के साथ उनके लिए मेहनत कर रहे हैं।
उधर सीतापुर क्षेत्र का गांजरी इलाका कृषि प्रधान है जिसका फायदा गठबंधन प्रत्याशी को मिल रहा है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि केंद्र में रही सरकारी किसानों के हित में कोई काम नहीं करती हैं सीतापुर में अत्यधिक मात्रा में खेती की जाती है पर किसानों को सरकार द्वारा कोई लाभ नहीं मिलता। प्रदेश में सपा सरकार के समय में किसानों के हितों का ध्यान रखा जाता है यह मुद्दा भी गठबंधन प्रत्याशी के लिए वरदान साबित हो सकता है।
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