भिवंडी के नाराज उत्तर भारतीय मतदाताओं को मनाने में पसीने पसीने हो रही है भाजपा, मनोज सिन्हा और मनोज तिवारी की सभा में नहीं जुटी भीड़ | New India Times

शारिफ अंसारी, भिवंडी/मुंबई (महाराष्ट्र), NIT:

भिवंडी के नाराज उत्तर भारतीय मतदाताओं को मनाने में पसीने पसीने हो रही है भाजपा, मनोज सिन्हा और मनोज तिवारी की सभा में नहीं जुटी भीड़ | New India Times

महानगरपालिका चुनाव और संगठन में नजरअंदाज किए जाने से नाराज भिवंडी के उत्तर भारतियों ने लगता है भाजपा को सबक सिखाने का मन बना लिया है, यही वजह है कि लाख कोशिश के बावजूद सभाओं में उत्तर भारतीय नदारद रहते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर भारतीय मतदाताओं को रिझाने की भरपूर कोशिश की गई थी। संगठन में पद और मनपा चुनाव में उम्मीदवारी देने का लॉलीपॉप देकर उत्तर भारतीय मत झटकने में कामयाब हो गई भाजपा ने लोकसभा सीट रिकॉर्ड मतों से जीत ली थी लेकिन भाजपा चुनाव जीतने के बाद उत्तर भारतियों को भूल गयी।

भिवंडी के नाराज उत्तर भारतीय मतदाताओं को मनाने में पसीने पसीने हो रही है भाजपा, मनोज सिन्हा और मनोज तिवारी की सभा में नहीं जुटी भीड़ | New India Times

मनपा चुनाव में मनोज सिंह को टिकट नहीं दिया गया जबकि मनोज सिंह लम्बे समय से भाजपा से जुड़े थे और उत्तर भारतीय युवा वर्ग में मजबूत पकड़ रखते हैं। आखिरकार मनोज सिंह ने भाजपा से बगावत करते हुए अपनी पत्नी को चुनाव मैदान मे उतारा और जीत हासिल की, इतना सब होने के बावजूद मनोज सिंह महापौर चुनाव में भाजपा के साथ रहे और आज भी भाजपा में हैं। उत्तर भारतीय बाहुल्य कामतघर और भंडारी कंपाउंड इलाके में किसी भी उत्तर भारतीय को टिकट नहीं दिया गया जबकि उक्त इलाको में शिलानंद झा और अंबिका वर्मा जैसे कई जिताऊ नेता हैं जिनके पास उत्तर भारतीय जनाधार है। इतनी उपेक्षा होने के बाद भी उत्तर भारतीय समाज भाजपा से नाता नहीं तोड़ा क्योंकि इन्हें उम्मीद थी कि संगठन में जगह मिलने के साथ साथ मनोनीत नगरसेवक और मनपा की समिति में जगह मिलेगी लेकिन एक लम्बा अर्सा बीत जाने के बाद भी इनके हाथ कुछ नहीं लगा।

इस तरह की उपेक्षा से नाराज उत्तर भारतीय समाज की नाराजगी स्वाभाविक है और बिना किसी मीटिंग, मैसेज, फोनकाल सूचना के उत्तर भारतीय समाज संगठित रुप से भाजपा से दूरी बनाकर चल रहा है, हालांकि उत्तर भारतीयों के नाराजगी का आभास भाजपा नेताओं को हो गया है इसलिए मनाने, समझाने, रिझाने का जोरदार प्रयास भी हो रहा है। कहा गया है कि “दूध की जली बिल्ली माठा फूक फूककर पीती है” उत्तर भारतीयों को रिझाने के लिए गोपाल नगर में मनोज सिन्हा और धामणकर नाके पर मनोज तिवारी के सभा का आयोजन किया गया था। दोनों सभाओं में उम्मीद से कम भीड़ थी। सभाओं से अपेक्षाकृत उत्तर भारतीय नदारद थे। उत्तर भारतीय बाहुल्य भिवंडी में उत्तर भारतीय वोट निर्णायक माना जाता है। समय रहते इस वोटबैंक के साथ गंभीरतापूर्वक बातचीत नहीं बनती है तो भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।


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