अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान राज्य स्तर एवं केन्द्रीय सूची में पिछड़ी जाति में शामिल मेव बिरादरी के होनहार व आला तालिम याफ्ता युवा विधायक वाजिब अली ने अपने अलावा राज्य के अन्य तीन विधायकों के दस्तखतों का मेव बिरादरी को विशेष पिछड़ी जाति में शामिल कर आरक्षण का लाभ देने का एक मांग-पत्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 12 फरवरी को सोंपकर भविष्य मे उगलती आग की एक शमा जलाकर अपने हक की मांग करके सबको चोंका दिया है।
भरतपुर जिले की नगर विधानसभा से बसपा विधायक वाजिब अली ने अपने तीन साथी विधायक लखन सिंह, जोगिंदर सिंह व संदीप यादव के दस्तखतों के साथ एक पत्र मुख्यमंत्री को देकर मेव बिरादरी को विशेष पिछड़ी जाति में शामिल कर आरक्षण का लाभ देने की मांग करके एक दिलेरी का काम करके युवा दिलों की धड़कन बन चुके हैं। हालांकि कल 12 फरवरी को विधायक वाजिब अली द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उक्त मांग का पत्र सोंपने के बावजूद आज 13 फरवरी को विधानसभा में गूज्जर सहित अन्य पांच जातियों को अलग से पांच प्रतिशत आरक्षण देने के विधेयक रखने के साथ मेव बिरादरी के एसबीसी में शामिल करने का जिक्र नहीं किया है लेकिन वाजिब अली द्वारा उठाई गई मांग आगे चलकर राज्य का एक बडा मुद्दा आगामी लोकसभा चुनाव के पहले बनने वाला जरुर है।
राजस्थान में मेव बिरादरी के अलावा अनेक अन्य बिरादरियां भी आज ऐसी हैं कि जिनको अलग से या विशेष पिछड़ी जाति मानकर आरक्षण देने की सख्त जरुरत है। उन बिरादरियों में कायमखानी बिरादरी भी एक विशेष पिछड़ी बीरादरी है जो विशेष पिछड़ी जाति में शामिल होने के सभी तरह के मापदंड पूरा करती है लेकिन कायमखानी बिरादरी राज्य पिछड़ा आयोग की सूची में तो शामिल है लेकिन कमजोर लीडरशिप के कारण केन्द्रीय सूची में अभी तक शामिल नहीं हो पाई है। पिछली वसुंधरा राजे सरकार के मंत्री यूनूस खान कायमखानी बिरादरी को केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल कराने के लिये बाले दर बाले यानि आश्वासनों पर आश्वासन देते रहे और ना वो चुनाव जीत पाये ओर ना ही केन्द्रीय सूची में कायमखानी बिरादरी शामिल हो पाई थी।
हालांकि सत्ता पक्ष के नेता का विधायक बनने से पहले हर नेता का मिजाज तो बिरादरी की तरक्की के लिये कार्य करने व हक की आवाज उठाने का होता है लेकिन विधायक बनने के बाद सत्ता सुख में वो इतना मतहोश हो जाता है कि उन्हें अपने दल के नेता के सामने आवाज उठाने के मुकाबले बिरादरी की नाराजगी बहुत छोटी नजर आती है। देखना होगा कि मेव बिरादरी के विधायक वाजिब अली की तरह राजस्थान में एक मात्र कायमखानी विधायक हाकम अली खान भी अपनी बिरादरी को विशेष पिछड़ी जाति में शामिल कराकर आरक्षण का लाभ दिलवाने की मांग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से करने का साहस जुटा पाते हैं या फिर पहले वाले विधायक की तरह कोरा आश्वासन ही देते देते पांच साल का समय पूरा करते हैं।
कुल मिलाकर यह है कि विधायक वाजिब अली का मुख्यमंत्री के नाम लिखा यह पत्र भले ही आज मामूली सी मांग नजर आ रही हो लेकिन अगले कुछ दिनों में यह मांग राजस्थान का प्रमुख मुद्दा बन सकता है। वाजिब अली के उक्त मांग पत्र के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को देने की खबर के बाद मेवात के युवाओं के एक आइडल बनकर उभरने लगे है। उनकी स्वीकारीयता में भारी इजाफा होता दिखाई दे रहा है।
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