कदम बढे शिक्षा की ओर | New India Times

Edited by Pankaj Sharma, NIT:

लेखक: ममता वैरागी

कदम बढे शिक्षा की ओर | New India Times

शिक्षा, आज की महत्वपूर्ण कड़ी, जिंदगी में आगे बढ़ाती और अच्छी मंजिल पर पहूंचाती है शिक्षा। हर किसी को शिक्षित होने का हक है पर किसी कारण वश बहूत से बच्चे शिक्षा की मूख्यधारा से भी नहीं जूड पाते, एक अभिशाप की भांति वह जैसे हर काम को करते हूए भी शिक्षित नहीं हो पाते और अज्ञानी बन धरा पर रह जाते हैं। ऐसा नहीं है कि शासन शिक्षा के लिए या बच्चों के बारे में नहीं सोच रहा, या उनके लिए कोई योजनाएं नहीं बनाई, तरह तरह के जतन किये जा रहे हैं, फिर भी अभी बहूत से बच्चे हैं जो पढ़ाई से वंचित हैं। शिक्षा क्या है केवल किताबों को पढ़ना या उन बातों पर मनन करना या अच्छा जीवन जीना या कोई अच्छा कार्य करना, क्या हे शिक्षा? सभी का उत्तर यही होगा कि शाला जायें और पढकर वहां से कूछ बनकर आयें। वह शिक्षा है बात सभी को सत्य लगे पर यहां एक बात और है, शिक्षा पाने के बाद कितने लोग शिक्षित होते हैं तो उत्तर आयेगा, बहूत कम। यहां मेरी सोच है, मेरा व्यक्तिगत रिसर्च है कि पढ लिख कर यदि जो अज्ञानी की भांति रहता है व, कर्म खराब रखता है, बेईमानी करता है, भ्रष्टाचार में लिप्त रहता है, धोखा देता है, झूठ फरेब का धंधा अपना लेता है वह किस तरह पढा लिखा या शिक्षित हूआ? बात शिक्षा की चल रही है और आज का हर पढा लिखा मानव ही गलत राहों पर चलता दिखाई देता है तो बहुत चिंता का विषय हो जाता है, यदि तुम पढ़े लिखे हो तब तूम्हे हर एक कार्य को अपना कर्तव्य समझकर पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए। हर एक छोटे छोटे बच्चों में अच्छे गुणों को भरना चाहिए। एक तरफ हम किताब पढा रहे हैं, शाला भेज रहे हैं और दूसरी तरफ घर में उसे बूराई, झूठ और बेईमानी की तरफ धकेल रहे हैं। आज ईमानदारी और ईमानदार लोगों की संख्या घट ही गई है, यदि कुछ बचे हैं तो वह मूर्ख कहलाए जाते है। यह हाल हूआ आजादी के बाद जो नहीं होना था। जब नन्हे नन्हे कदम शिक्षा की ओर बढते हैं तो वहीं बढे हूए नागरिक नेक भले और वास्तविक शिक्षित क्यों नहीं हो रहे हैं? क्यों मन में भटकाव,क्यों मस्तिष्क में उत्तेजना, क्यो दिल दिमाग में घर भरने की फिक्र ओर क्यों हो रही हिंसक प्रकृति। क्या यह शिक्षित नागरिकों की पहचान हे। नही। कहने का तात्पर्य यह हे कि हमें अभी शिक्षा की जरूरत हे, शिक्षित होनै की जरूरत है,जिसमें सभ्यता, शालिनता, ईमानदारी और देश हित की बात दिमाग में रहे और हर कर्तव्य को पूर्ण निष्ठा के साथ पूरा करें तभी बात सार्थक होगी।

चल पड़े शिक्षा की ओर।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading