फराज अंसारी, बहराइच ( यूपी ), NIT; बहराइच जिला में बोर्ड परीक्षा के नजदीक आते ही नक़ल माफियाओं के गैंग पूरी तरह सक्रिय हो जाते हैं। आगामी यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल माफियाओं पर प्रशासन कितना अंकुश लगा पाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।सूत्रों की मानें तो तमाम वित्त विहीन विद्यालयों में नकल माफियाओं के द्वारा बाकायदा कॉपी तक लिखवाने का ठेका लिया जाता है। आरोप है कि केवल बहराइच जिला में ही करोडों रुपये का खेल होता है जिसमें ज्यादातर जनपद के ऐसे वित्त विहीन विद्यालय हैं जो नक़ल कराने के नाम पर प्रसिद्धि पा चुके है। एक ओर प्रशासन का लचर रवैया नक़ल माफियाओं का हौसला बुलंद करते हैं, वहीँ दूसरी ओर विभाग द्वारा बिना मानक के डिग्री धारक प्रधानचार्यों को केंद्र व्यवस्थापक बना देना भी एक तरह से नक़ल माफियाओं को संजीवनी बूटी प्रदान करने जैसा कार्य हो जाता है। सूत्रों के अनुसार जिले में नक़ल माफियाओं का एक बहुत बड़ा नेटवर्क है जो ऊंची पहुंच के बल पर नक़ल कराने जैसे जघन्य अपराध को बड़ी आसानी से अंजाम दे देते हैं। मानक छमता से अधिक एडमिशन हो या छात्रवृति हड़पना हो जनपद बहराइच में यह सब कुछ बहुत आसानी से किया जा सकता क्योंकि जिम्मेदार कार्यवाही न करके मौन रहना ज्यादा उचित समझते हैं। नक़ल और शिक्षा माफियाओं के बुलंद हौसलों के चलते जहां एक ओर होनहार और पढाई करने वाले छात्रों को कम परसेंटेज से संतोष करना पड़ता है वहीँ आगे एडमिशन के लिए भी दर-दर भटकना पड़ता है। वहीँ दूसरी ओर पढाई न करने वाले और बाहर से आये छात्र नक़ल करके बढ़िया परसेंटेज हासिल कर ले जाते हैं। आखिर होनहार छात्रों के भविष्य के साथ यह खिलवाड़ कब तक होता रहेगा? जिम्मेदारों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास कब होगा? आखिर उनको होनहार छात्रों और उनके अभिभावकों का दर्द क्यों नही महसूस होता? अब देखने वाली बात यह होगी की प्रशासन नक़ल माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए क्या प्रभावी कदम उठा पाएगी? क्या इस वर्ष नक़ल विहीन परीक्षा संभव हो पायेगा या फिर प्रत्येक वर्ष की तरह नक़ल माफियाओं का बोलबाला रहेगा????
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