खालिद गौरी, लखनऊ (यूपी), NIT:
अंतरंग स्वछता महिलाओं एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में लोग न तो बात करना पसंद करते है और न ही इस बात को स्वीकार करते है कि इसके कारण कितनी महिलाओं को अपनी जिंदगी गवानी पड़ती है और नरकीय जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
इसी को ध्यान मे रखते हुए, देश विदेश की कई नामचीन संस्थाओं ने स्कार्ड संस्था (सोशल कलेक्टिव एक्शन फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के बैनर तले एक सर्वे ”वी कैन डो इट” को अंजाम दिया। भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश मे. अगस्त २०१८ से चल रहा यह सर्वे उत्तर प्रदेश के सभी ७५ जिलों मे ३५०० महिलाओ पर किया गया।
स्कार्ड संस्था के अध्यक्ष विपिन अग्निहोत्री बताते है की जब उन्होंने इस मुहीम को शुरू करने की सोची, तो हर किसी ने उनकी खिल्ली उड़ाई पर उनका आत्मविश्वास किसी भी पल नहीं डगमगाया। विपिन ने उन संस्थाओ को कांटेक्ट किया जो पहले से ही महिलाओ की अंतरंग स्वछता पर काफी बड़े पैमाने पर काम कर रही थी और उनके पॉजिटिव रिस्पांस ने विपिन को यह बल दिया की वह सही दिशा मे जा रहे है और समाज मे इस मुद्दे पर एक बहस को जन्म दे सकते है।
अब क्यूंकि ये काफी बड़ा प्रोजेक्ट था और इसमें काफी काफी पैसे भी लगने थे, विपिन ने काफी लोगो से सहयोग माँगा, पर उन्हें कही से भी कोई मदद नहीं मिली, अंत मे उन्होंने अपने खुद के पैसे लगा कर इस सर्वे को अंजाम दिया। बकौल विपिन अग्निहोत्री, इस सर्वे को पूरी तरह से क्रियान्वित करने मे उनहाने आर्थिक रूप से परेशानी भी उठाई। इस माह के अंत तक विपिन इस सर्वे को जनता के समक्ष उपस्थित करेंगे।
इस सर्वे मे जिन नामचीन संस्थाओ ने एक जुट होकर इस कठिन काम को अंजाम दिया उसमे शामिल है शी सोसाइटी, जिसकी चेयरमैन है पंजाब की पैड वीमेन कही जाने वाली जीवन ज्योत, जापान की संस्था कॉफी पॉसिटिवो और उनकी सुप्रसिद्ध फाउंडर लोरेना रोड्रिगुएज, हॉलैंड की संस्था सयोनी केयर और उनकी चेयरमैन लोला स्वनस्टीगर, चेंज कैंपेन की बर्लिन चैप्टर की हेड लोरे रोग्गेमान और मुंबई की संस्था आशाये जिसकी फाउंडर है सीमा परदेशी खांडाले।
विपिन को उम्मीद है की प्रदेश सरकार उनके इस काम को सराहयेगी और उन्हें मदद भी करेगी ताकि ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं अंतरंग स्वछता पर ध्यान दें और उससे जुडी बीमारियों से बच सकें।
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