संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ ग्वालियर (मप्र), NIT:
तनाव आजकल जीवन का हिस्सा बन गया है, लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिये कि ये तनाव कहीं मानसिक रोग न बन जाए। वर्तमान में मानव मूल्यों का लगातार पतन होता जा रहा है। पहले जहाँ दूसरे घर की महिलाओं को भी लोग इज्जत से देखते थे वहीं आज घर में भी लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं। इसलिये शासन ने भी अब कड़े कानूनों का प्रावधान किया है, यह बात विशेष न्यायाधीश अर्चना सिंह ने एक विधिक संगोष्ठी में कही। इसका आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सिंध हिन्दू जनरल पंचायत ग्रेटर ग्वालियर और हैप्पीनेस एंड अवेयरनेस मिशन कि ओर से शनिवार को सिंधी धर्मशाला में किया गया। इसमें मानसिक रूप से आसक्त व्यक्तियों के लिये विधिक सेवाओं के बारे विस्तार से बताया गया। जेएमएफसी राजेन्द्र सिंह शाक्य ने कहा कि मानसिक रोगी की संपत्ति का हस्तांतरण या विक्रय नहीं किया जा सकता। अधिवक्ता संजय शुक्ला ने कहा कि मानसिक रोगी स्वयं अस्पताल नहीं जा सकता। इसलिये ऐसे मरीजों के प्रति परिजन व समाजसेवियों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। जनरल पंचायत के पूर्व अध्य्क्ष जीएल भोजवानी ने कहा कि समाज पहले से ज्यादा सम्पन्न हो गया है। लेकिन अब हम पहले जैसे खुश नहीं रहते। हाईकोर्ट बार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीरज भार्गव ने कहा कि मानसिक रोगियों के लिये सुप्रीम कोर्ट ने विशेष प्रावधान किये हैं। मानव अधिकार आयोग के आयोग मित्र और हैप्पीनेस एंड अवेयरनेस मिशन के प्रमुख अंशुमान शर्मा ने कहा कि हमने तनाव को अपने जीवन का हिस्सा मान लिया है। जबकि हमारा स्वभाव हँसना और खुश रहना है। यदि हम भागवत गीता और रामायण के सिद्धान्तों का पालन करेंगे तो हम हमेशा खुश रहेंगे। पंचायत की न्यायिक कमेटी के पदाधिकारी व मुख्य परामर्श दाता अधिवक्ता सुरेश केलवानी ने कहा कि हमारी पंचायत समाज के मामलों का आपसी सहमति से निराकरण करती है। साथ ही निशुल्क विधिक सलाह देती है।
शिविर में जनरल पंचायत के अध्य्क्ष सुदामा लाल, महासचिव दिनेश पुरुवानी, सह सचिव डीपी भूरानी, अधिवक्ता शिल्पा डोंगरा, अधिवक्ता अनुपमा सिंह, समाजसेवी अर्चना शर्मा, कविता तायल, शाकरा खान, सीमा समाधिया, सविता तिवारी, ज्योति शर्मा, जेपी अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
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