मसूद उर रहमान, संपादक, लखनऊ (यूपी), NIT:
अपने नुमाया और बेबाक अंदाज के लिए जाने पहचाने जाने वाले कुंडा के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपने सफल राजनीति के 25 वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में एक नई राजनीतिक पार्टी का शंखनाद कर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
रमाबाई मैदान में उमड़े जनसैलाब को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग में 3 नाम जनसत्ता दल, जनसत्ता पार्टी, जनसत्ता लोकतांत्रिक दल का सुझाव दिया गया है जिनमें से कोई एक नाम फाइनल होना है। जनसैलाब के इतना सुनते ही जय रघुराज रघुराज रघुराज तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं के नारों से रमाबाई अंबेडकर मैदान गूंज उठा। राजा भैया को अपना संबोधन जारी रखने के लिए जनसैलाब को शांत कराने के लिए बार-बार निवेदन करना पड़ा। इस तरह प्रतापगढ़ जिले की कुण्डा विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने एक नयी पारी का आगाज किया। हालांकि उनकी नयी पार्टी को अभी नाम नहीं मिला है लेकिन मंच पूरी तरह तैयार हो गया है और भीड़ भी लाखों की संख्या में रमाबाई अंबेडकर मैदान में रैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए जमा हो गई। उमड़ रहे जनसैलाब को देखते हुए राजा भैया ने इस अवसर पर जवान, किसान और नौजवान के साथ अन्य शोषित वर्ग के अधिकारों की निर्णायक लड़ाई लड़ने का ऐलान किया। उन्होंने इस अवसर पर हैरत जताई कि आज समाज में वैमनस्यता बढ़ाई जा रही है, किसी की हत्या या किसी लड़की का रेप होने पर उसकी जाति देख कर मुआवजा दिया जाता है यह समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है, समाज में समानता और भाई चारगी की लड़ाई हम सबको मिलकर लड़ना होगा क्योंकि हम सब पहले इंसान हैं साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मैं दलित विरोधी नहीं हूं और दलित समाज को मिलने वाली सुविधाएं यथावत रहेंगी।
अपने सम्बोधन में उन्होंने हर मुद्दे को छुआ जो सीधे-सीधे गांव, गरीब, किसान, नौजवान, सैनिक, अगड़े-पिछड़े को प्रभावित करता है। कुंडा के बाहुबली विधायक के रुप में विख्यात राजा भैया ने बीती 16 नवम्बर को ही 30 नवंबर को राजधानी लखनऊ में रैली करने का ऐलान किया था इसके लिए उन्होंने राजधानी में भीड़ के लिहाज से सर्वाधिक क्षमता वाले रमाबाई अम्बेडकर मैदान का चयन किया था। इस मैदान के बारे में यह कहा जाता रहा है कि इसे सिर्फ और सिर्फ बसपा मुखिया मायावती ही भर सकती हैं लेकिन राजा भैया ने अपनी ताकत का जो अहसास कराया उससे साफ हो गया कि वे भी मैदान भरने की क्षमता रखते हैं।
इस असर पर उन्होंने सवर्णों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एससी-एसटी एक्ट का पूरे देश में दुरुपयोग किया गया, न्यायालय ने कहा था कि यह उचित नहीं, कोर्ट ने उसमें संशोधन भी किया इसके बावजूद सरकार अध्यादेश लाकर पहले से भी ज्यादा दमनकारी कानून ले आयी और राजनीतिक दलों ने एक मत होकर इसे कानूनी जामा पहना दिया। उन्होंने कहा जब सामाजिक विद्वेष का बीज बोया जा रहा था, जब समाज में असमानता की नींव रखी जा रही थी, तब ऐसा करने वाले लोगों और किसी राजनीतिक दल को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि एक दिन रमाबाई आम्बेडकर मैदान में सामजिक विद्वेष और असमानता के खिलाफ आप सब खड़े हो जाएंगे और इतना विशाल और इतना बड़ा जनसैलाब जनसत्ता की रैली में आ जायगा।
उन्होंने हैरानी जताई की जब संविधान में प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार दिया गया तो फिर इतना विभेद क्यों? उन्होंने कहा कि बहन और बेटियां सबकी बराबर होती हैं फिर केवल दलित की बेटी को ही उत्पीड़न पर मुआवजा क्यों ? इसके बाद उन्होंने जोड़ा कि जरूर उन्हें भी मिले मुआवजा उनका बंद करने को हम नहीं कह रहे हैं, परन्तु हर उत्पीड़ित बहन बेटी को यह हक मिले लेकिन क्या मुआवजा भी जाति देखकर दिया जाना चाहिए? इस दौरान उन्होंने किसानों की समस्याओं का भी उल्लेख किया तो सीमा पर देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों का भी ज़िक्र किया और कहा कि उनकी पार्टी सेना और अर्धसैनिक बलों को शहादत पर एक करोड़ की सहायता, गन्ना किसानों को उनकी उपज का एक सप्ताह में भुगतान किया जाएगा और संविधान द्वारा मिले हुए समानता के मौलिक अधिकार के अनुसार सभी को उनका हक-अधिकार दिलाएगी। इस दौरान राजा भैया ने एक चिड़िया की कहानी सुनाते हुए कहा कि जंगल में लगी आग को जब एक चिड़िया चोंच में पानी लाकर बुझाने लगी, तो उससे सवाल हुआ कि क्या इससे आग बुझेगी? चिड़िया ने जवाब दिया कि मुझे यह पता है कि मेरे इस प्रयास से यह आग भले ना बुझे पर जब इतिहास लिखा जाएगा तो मेरा नाम आग लगाने वालों में नहीं आग बुझाने वालों में लिखा जाएगा। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इतनी बड़ी रैली, अपार भीड़, जनता जनार्दन के इतने बड़े जमावाड़े की उम्मीद न तो खुद हमको थी और ना ही अन्य राजनैतिक पार्टियों को ! भाषण पूरा होने के बाद, कभी सपा के शीर्ष नेता रहे और अब नवगठित पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का शुभकामना सन्देश भी पढ़कर सुनाया गया। इस अवसर पर मंच पर पूर्व सांसद शैलेन्द्र कुमार, विधायक विनोद सरोज, और अपने भ्राता और परम सहयोगी अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी और अब्दुस सलाम चाचा आदि मौजूद रहे।
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