अब्दुल वाहिद काकर, ब्यूरो चीफ धुले (महाराष्ट्र), NIT:
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के उप चुनाव में भाजपा को लगे करारे झटके से पार्टी अभी संभल भी नहीं पाई थी कि पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के रुझान ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की चिंताएं बढा दी हैं, वहीं महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में हो रही बगावत ने पार्टी की परेशानियों में और इजाफा कर दिया है जिस कारण खान्देश में भाजपा के लिए जित का मंत्र बन चुके जलसंपदा मंत्री तथा धुलिया मनपा चुनाव प्रभारी गिरीश महाजन की विश्वसनीयता को चोट पहुंचने लगी है। महाजन के अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र के शेंदुर्नी नगरपंचायत के लिए 9 दिसंबर को होने जा रहे आम चुनावों के संभावीत नतीजे प्रतिस्पर्धी NCP कि रणनिती और जनक्षोभ के कारण चौंकाने वाले हो सकते हैं, वहीं कांग्रेस के गढ़ रहे अहमदनगर में भी सेंध लगा पाना महाजन के लिए समंदर में सुई खोजने जैसा होगा।
धुलिया कि बात करें तो स्थानीय भाजपा विधायक अनिल गोटे की खुली बगावत अब म्यान में होती नही दिख रही है जिससे समीक्षकों के मुताबीक यहाँ के नतीजों में भाजपा तीसरे नंबर पर जा सकती है और गोटे किंग मेकर बनकर उभर सकते हैं। अभी हाल में ही सम्मेलन में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रावसाहब दानवे समेत मंत्रियों के सामने अपने कथीत अपमान को हथियार बनाकर भगवा नेताओं को दंभ भर चुके गोटे का मिजाज अब शायद किसी समझौते से सुलह तक नहीं पहुच सकता। 3 महिने पहले NCP सुप्रिमो शरद पवार के दौरे के बाद भाजपा के अंदर मची इस घमासान से पदाधिकारियों में भ्रम की स्थिति मुकम्मल बनी हुई है।
उत्तर महाराष्ट्र में शिवसेना समेत सभी विपक्षियों के निशाने पर अब भाजपा बाद में पर महाजन पहले नंबर पर हैं। इस स्थिति के लिए मैजिक मैन मंत्री जी कि मुख्यमंत्री प्रिय बने रहने कि होड वाली वह छवि अधिक जिम्मेदार मानी जा रही है जिसके कारण महाजन के मंत्रालय के शून्य कामकाज की स्वयं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और नितिन गडकरी आलोचना कर चुके हैं। रही बात निकायों में महाजन के जीत की तो शिवसेना के संजय राऊत ने इसे EVM हैकिंग से जोड दिया है।
बहरहाल अब धुलिया का निकाय चुनाव अगर तकनिकी पारदर्शीता और ईमानदारी से संपन्न होता है तो निश्चित रुप से नतीजे लोकतंत्र के अस्तीत्व को रेखांकित करेंगे फिर वह जीत किसी भी दल की हो।
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