अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT;
भोपाल शहर में कानून से खिलवाड़ करते हुए सवारी वाहनों का परिचालन जारी है। यहां जहां क्षमता से अधिक सवारियां भरी जा रही हैं वहीं नाबालिग लडके सवारी गाडियां चलाते हुए अक्सर दिखाई पडते रहते हैं जिस ओर पुलिस या परिवहन विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। पुलिस विभाग के आला अधिकारी कार्यवाही करने से आखिर क्यों कतरा रहे हैं और किसका आशिर्वाद इन वाहन चालकों को प्राप्त है? आरोप है कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सवारी वाहनों में कार्यवाही करने से जिम्मेदार विभाग कतरा रहे हैं जिसका परिणाम सड़को में चलने वाले ओवरलोड सवारी वाहनों को देखा जा सकता है। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने बस चालक एवं संचालकों सहित बस में चलने वालों की सुरक्षा को देखते हुए कई निर्देश भी दिए हैं लेकिन प्रशासन द्वारा उनके आदेश को नकार दिया गया है। मध्यप्रदेश में कई दार्दनाक बस हादसे भी हो चुके हैं।लेकिन संचालक एवं प्रशासन सबक नही ले रहे हैं। वाहन मालिक मुनाफा कमाने के चक्कर में नियमों को तार-तार करके जिम्मेदारों की मिली भगत से वाहनों का संचालन कर रहे हैं।
भोपाल में 12-15 वर्ष के नाबालिग बच्चे चला रहे हैं सवारी गाडियां
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 12-15 वर्ष के नाबालिग बच्चे सवारी वाहन चला रहे हैं लेकिन पुलिस देख कर भी अनदेखा क्यों कर रही है, यह सोचने का विषय है।मिली जानकारी के अनुसार भोपाल टाकीज से लेकर करोंद तक 12 से 15 वर्ष के नाबालिग बच्चे बिना ड्राइविंग लाईसेंस के टाटा मैजिक ,ऑटो रिक्शा चलाते हुये नज़र आ रहे हैं जबकि नाबालिग बच्चों का गाड़ी चलाना कानूनन अपराध है। खास बात यह कि भोपाल टाकीज और करोंद के बीच थाना गौतम नगर पड़ता है। टाटा मैजिक वाले थाने के बगल ही से करोंद के लिये सवारियों को बिठाते हैं लेकिन पुलिस देख कर भी अनदेखा क्यों कर रही है, यह सोचने का विषय है। क्या पुलिस प्रशासन की इन वाहन मालिकों के खिलाफ कार्यवाही करने की कोई जिम्मेदारी नहीँ बनती है या किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहे हैं?
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